भोपाल। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सेंट्रल जेल भोपाल में कैदियों से मुलाकात के लिए आने वाले रिश्तेदारों के चेहरे पर मुहर लगाने की घटना का संज्ञान लेते हुए जेल के महानिदेशक से सात दिन में रिपोर्ट मांगी है।
कल यहां जारी बयान में आयोग ने इस घटना को अमानवीय और इंसानी मूल्यों के खिलाफ बताया है और कहा है कि इससे मुलाक़ात के लिए आने वाले बच्चों के मूल और मानव अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
आयोग ने इस तरह की रस्म को तुरंत बंद किए जाने की सिफारिश की है। आयोग ने घटना के बारे में कहा है कि चेहरे पर मुहर लगाकर बच्चों की गरिमा के अधिकार को छीना गया है और उन्हें मानसिक पीड़ा से पीड़ित किया गया है।
आयोग ने इसके लिए प्रभावित लोगों को दस दस हजार बतौर मुआवजा देने की सिफारिश की है और साथ ही प्रभावित लोगों के नाम और उनके पते से संबंधित जानकारी भी मांगी है।
गौरतलब है कि रक्षाबंधन पर भोपाल की सेंट्रल जेल में अपने परिजनों से मिलने और राखी बांधने पहुंचे लोगों के चेहरे पर ही पहचान के लिए मुहर लगा दी गई। जेल में परिजनों को कैदियों से मिलने से पहले पहचान चिन्ह के लिए मुहर हाथ पर लगाई जाती है, ताकि कोई कैदी भीड़ का फायदा उठाकर बाहर न निकल जाए।