देश में आज हालात ऐसे बन चुके हैं कि मुस्लिम समुदाय से जुड़ा कोई भी शख्स अगर अपने घर से किसी काम के लिए बाहर जाता है तो उनके घर वाले इसी डर के साये में रहते हैं कि वह घर लौट कर वापिस आएगा या नहीं।
और मुस्लिम ही क्यों! देश के दलित का हाल भी कुछ इसी तरह का है।
मोदी सरकार के सत्ता में आने बाद से ही धर्म के नाम पर बांटने और डर फैलाने की राजनीति हो रही है। देश का भगवाकरण करने में जुटी मोदी सरकार और दक्षिणपंथी हिंदूवादी संगठनों ने अल्पसंख्यकों और दलितों के मन में डर पैदा कर दिया है।
दिनों-दिन बढ़ रही हिंसक घटनाओं और सरकार की और से हिंसा और मोब लिंचिंग को दी जा रही मौन स्वीकृति देश का माहौल बिगाड़ती चली जा रही है।
धर्म और जाति आधारित मोब लीचिंग के विरोध में कल देश भर में #नॉट इन माय नाम का प्रोटेस्ट चलाया गया।
देश के बाकी प्रमुख शहरों की तरह ही पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में इस प्रोटेस्ट का आयोजन किया गया किया गया।
जिसमें ख़राब मौसम के बावजूद पंजाब के अलग-अलग जगहों से लोग हिस्सा लेने पहुंचे। इस विरोध प्रदर्शन में पंजाब यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स, प्रोफेसर,सामाजिक कार्यकर्ता और आईसा के कार्यकर्ता समेत बड़ी संख्या में आम नागरिक शामिल थे।
इकठ्ठा हुए लोगों ने देश भर में हिंदूवादी संगठनों की शह पर भीड़ द्वारा मारे गए मुसलमानों की हत्यायों पर रोष व्यक्त किया और साथ ही मोदी
सरकार की निंदा की। लोगों के बयानों और प्रतिक्रियाओं से मोदी सरकार के प्रति गुस्सा साफ़ झलक रहा था।
लोगों का कहना है कि एक के बाद एक निहथे लोगों की हत्या होने के बावजूद मुँह में लड्डू लिए बैठी सरकार की नियत से साफ़ जाहिर है कि इस तरह ही घटनाएं सरकार की शह पर ही हो रही हैं।
प्रदर्शन में शामिल हुए पीयू छात्रों ने भी इन घटनाओं की निंदा की और साफ़ शब्दों में कहा कि धर्म के नाम पर लोगों के साथ भेदभाव, मारपीट और हत्याएं बर्दाश्त नहीं की जाएँगी।
इस तरह की घटनाओं पर काबू न पाया गया तो उन्हें मजबूरन संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ेगा और इस तरह का कदम लेने से वो कभी पीछे नहीं हटेंगे।
छात्र नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स ने भी हर संघर्ष में छात्रों और आम नागरिकों का साथ देने की हामी भरी। विरोध प्रदर्शन पूरी तरह शांतमयी तरीके से पूरा किया गया।

