आंध्रप्रदेश के एक जज ने गाय को देश की पवित्र संपदा बताया है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा है कि गाय मां और भगवान का विकल्प है। यह बयान हैदराबाद हाईकोर्ट के जज बी. शिवशंकर राव ने दिया है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का जिक्र करते हुए शुक्रवार को कहा कि बकरीद के मौके पर मुस्लिमों को सेहतमंद गाय काटने का कोई मौलिक अधिकार नहीं। इतना ही नहीं जस्टिस शिवशंकर ने उन डॉक्टरों को जो धोखे से सेहतमंद गाय को अनफिट करार देकर सर्टिफिकेट देते, उन्हें आंध्रप्रदेश गौहत्या एक्ट 1977 के तहत लाने की भी मांग।
जस्टिस शिवशंकर ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि जिस शख्स पर गायों को हत्या के लिए लेकर जाने का आरोप हो क्या उस शख्स के पास उनको लेकर जाने का अधिकार है? यह सवाल पूछा जाना चाहिए। गाय के राष्ट्रीय महत्व है, जो कि मां और भगवान का विकल्प है, उसके लिए इसका जवाब मिलना चाहिए।
जस्टिस शिवशंकर यहीं नहीं रूके उन्होंने बाबर का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने गौहत्या पर पाबंदी लगाई थी। बाबर ने अपने बेटे हूमायूं को भी ऐसा ही करने को कहा था। अकबर, जहांगीर और अहमद शाह ने भी गौहत्या पर पाबंदी जारी रखा।
उन्होंने कहा कि जानवर के साथ होने वाली क्रूरता को रोकने वाले अधिनियम, 1960 के सेक्शन 11 और 26 में बदलाव करने को कहा। इसक अलावा उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यों के लिए होने वाले सजा को बढ़ाकर पांच साल किया जाना चाहिए।
दरअसल, जस्टिस शिवशंकर ने यह बयान एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। रामावथ हनुमा नाम के एक शख्स जिसके 63 गाय और दो बैलों को जब्त कर लिया गया था, ने उन्हें छुड़ाने के लिए एक याचिका हाईकोर्ट में डाली थी। लेकिन रामावथ की याचिका को जस्टिस शिवशंकर ने यह दलील देकर ठुकरा दी कि वह ट्रायल कोर्ट के फैसले में दखल नहीं देना चाहते।
रामावथ ने अपनी गायों और बैलों को छुड़ाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका डालने से पहले ट्रायल कोर्ट भी गए थे लेकिन वहां उनकी याचिका को ठुकरा दिया गया था। रामावथ पर आरोप है कि वह अपने कुछ साथियों के साथ पास के किसानों से उन गायों और बैलों को खरीदा ताकि बकरीद पर उनको काट सके। वहीं दूसरी तरफ अपनी रामावथ का कहना है कि वो अपने पशुओं को वहां चराने के लिए लाए थे।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते राजस्थान हाईकोर्ट के जज महेश चंद्र शर्मा ने गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने का सुझाव दिया। इतना ही नहीं उन्होंने एक अलग ही उदाहरण देते हुए कहा था, “जो मोर है, ये आजीवन ब्रह्मचारी होता है। वह कभी भी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता। इसके जो आंसू आते हैं, मोरनी उसे चुगकर गर्भवती होती है। और फिर मोर या मोरनी को जन्म देती है।”
इसके बाद उन्होंने कहा था कि मोर ब्रह्मचारी है, इसलिए भगवान कृष्ण अपने सिर पर मोरपंख लगाते हैं। गाय के अंदर भी कई सारे दिव्य गुण हैं, जिन्हें देखते हुए इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव देने के अलावा जस्टिस शर्मा ने राजस्थान सरकार से कहा था कि यह सुनश्चित किया जाए कि गोवध करने वालों को आजीवन कारावास की सजा दी जाए।