अमेरिकी सरकार द्वारा अस्थाई काम वीजा में कमी किए जाने के बाद भी सूचना तकनीक के पेशेवर खबरों में बने हुए हैं। भारतीय अब एक कम चर्चित वीजा कार्यक्रम का इस्तेमाल अमेरिकी नागरिकता हासिल करने में कर रहे हैं। ईबी-5 वीजा कार्यक्रम विदेशी नागरिकों द्वारा सरकार की ओर से मंजूर ईबी-5 कारोबार में न्यूनतम 5,00,000 डॉलर का निवेश करने पर अमेरिका की स्थाई नागरिकता का अवसर प्रदान करता है या देश में 10 पूर्णकालिक नौकरियों के सृजन का मौका देता है।
इस बीजा के लिए चीन के नागरिक लंबे समय से प्रमुख आवेदक रहे हैं। आव्रजन सलाहकार और निवेश सुविधा प्रदाता फर्म कैनएम इन्वेस्टर सर्विस के सीईओ जेफ डेसिक्को ने कहा कि पिछले साल से इस बीजा के लिए भारतीय नागरिकों की ओर से आवेदन करने वालों की संख्या नाटकीय रूप से बढ़ी है। डेसिक्को ने कहा, ‘2015 से भारत इस क्षेत्र में तेजी से उभरा है, जबकि चीन की ओर से स्थिरता बनी हुई है। 2007-2014 के बीच हमें भारत की ओर से 30 से भी कम आवेदन मिले थे, जबकि अब हमें सालाना करीब 200 आवेदन मिल रहे हैं।’ हर साल कुल 10,000 वीजा दिए जाते हैं, जिसमें से किसी भी देश को कुल वीजा का 7 प्रतिशत या 700 से ज्यादा वीजा की अनुमति पहले चरण में नहीं होती। बहरहाल अगर किसी देश से आवेदकों की संख्या यह सीमा पार कर जाती है तो उन्हें प्रतीक्षा सूची में रखा जाता है। चीनी नागरिकों के मामले में इसका असर ज्यादा होता है, जो शुरुआत से इसके लिए आवेदन करते रहे हैं। अगर आवेदनों के बाद शेष जगहें बची रह जाती हैं तो प्रतीक्षा सूची के आवेदकों में से चयन होता है। परिणामस्वरूप 2014 तक 85 प्रतिशत चीनी नागरिकों को यह वीजा मिलता रहा है।
अमेरिकी सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय निवेशकों ने इस कार्यक्रम के तहत 12 करोड़ डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है और 2014 के बाद से इस क्षेत्र में वृद्धि की दर 140 प्रतिशत रही है। भारत अब चीन और वियतनाम के बाद तीसरे स्थान पर आ गया है। यह योजना 1990 से चल रही है। बाद में क्षेत्रीय केंद्र योजना के तहत संशोधन हुए, जो भारतीयों के पक्ष में था। इसमें लक्षित क्षेत्र में रोजगार देने के लिए निवेश की योजना बनी, जहां बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में 1.5 प्रतिशत से ज्यादा है। ऐसे इलाके ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र हैं। एक वरिष्ठ राजनयिक सूत्र ने कहा कि डॉनल्ड ट्रंप की नई सरकार निवेश बढ़ाने पर काम कर रही है और निवेश की सीमा आगे और कम करने पर विचार कर रही है, जिससे ईबी-5 वीजा की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना बन सके।
अमीर भारतीय नागरिकता के ईबी-5 माध्यम के पक्ष में हैं, क्योंकि इससे 21 साल से कम उम्र के अविवाहित बच्चों को ग्रीन कार्ड की अनुमति मिलती है और हर आवेदक को औसतन 3 वीजा मिल जाते हैं। निवेश और वीजा सुविधा प्रदाता फर्म एलसीआर कैपिटल पार्टनर्स ने कहा कि हालांकि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक में हमारी शुरुआती दिलचस्पी रही है, लेकिन ईबी-5 के बारे में अन्य मेट्रो शहरों में भी तेजी से जानकारी पहुंच रही है।
अमेरिकी वाणिज्य विभाग के मुताबिक वित्त वर्षों 2012 और 2013 में 11,000 प्रवासी निवेशकों ने 5.8 अरब डॉलर पूंजी का निवेश ईबी-5 कार्यक्रम के तहत किया और 562 परियोजनाओं में निवेश किया, जिससे अमेरिका में 1,74,000 नौकरियों का सृजन हुआ। कुल मिलाकर भारत से अमेरिका जाने वाले ज्यादातर एच-1बी वीजा के लिए अस्थायी कर्मचारी के रूप में आवेदन करते हैं। इसका इस्तेमाल प्राथमिक रूप से आईटी कंपनियां करती हैं।