ये ड्राफ्ट कैसे तैयार किया गया?

घर घर एप्लीकेशन फॉर्म्स दिए गए. एक परिवार के लिए एक फॉर्म. 6 सदस्यों तक के लिए. उनका वेरिफिकेशन किया गया. ऑफिस में. फिर फील्ड में. ये जो ड्राफ्ट है ये हर गांव से लेकर वार्ड तक में देखने के लिए लगाया गया है जहां से भी एप्लीकेशन फॉर्म दिए गए और जमा किये गए थे. इसके लिए ख़ास तौर पर बनाए गए सेवा केन्द्रों पर भी इनको लगा कर जनता को जानकारी दी जा रही है. जो ये पहला ड्राफ्ट है इसमें ये कहा गया है कि लगभग जितने 3.29 करोड़ लोगों ने नागरिकता के एप्लीकेशन फॉर्म जमा किए थे, उनमें से 2.89 करोड़ ही नागरिकता ले पाने के लायक हैं.  यानी लगभग 40 से 41 लाख लोग असम के नागरिक बन पाने के लायक नहीं हैं.आप्रवास यानी इमिग्रेशन हमेशा लोग अपनी मर्ज़ी से नहीं करते.

वो लोग क्या करें जिनका नाम इस लिस्ट में नहीं है?

उनके लिए भी मौका हाथ से निकला नहीं है. सेवा केन्द्रों पर जाकर एप्लीकेशन फॉर्म भरे जा सकते हैं. अगर नाम, उम्र, पते, डेट ऑफ बर्थ में कोई गलती है तो वो भी सही करवाई जा सकती है. जिन लोगों के नाम नहीं है ड्राफ्ट में, वो इसकी एप्लीकेशन 7 अगस्त 2018 से 28 सितम्बर 2018 तक दे सकते हैं. क्लेम्स एंड ऑब्जेक्शन्स के फॉर्म सिर्फ सेवा केन्द्रों पर जमा होंगे. डाउनलोड वो ऑनलाइन भी किये जा सकते हैं NRC की वेबसाइट से.जब तक NRC की आखिरी लिस्ट नहीं आ जाती, तब तक ये आंकड़ा बदलेगा.

बंगाल में इस चीज़ पर हड़कंप मच गया है. इस पर लोग कह रहे हैं कि ये बीजेपी की चाल है. इसका इस्तेमाल करके वो मुस्लिमों को देश से बेदखल कर देना चाहती है. क्योंकि बांग्लादेश से आने वाले लोग अधिकतर मुस्लिम हैं इसलिए ये सवाल उठाया जा रहा है. हालांकि ये पूरी कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की देख रेख में हो रही है, इस पर धार्मिक एंगल डालने वाले लोग कम नहीं हैं. साल 2014 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार देश की जेलों में लगभग 6000 विदेशी नागरिक बंद हैं और उनमें से अधिकतर बांग्लादेशी हैं. असम में अवैध आप्रवासियों की संख्या को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है. लेकिन इस वक़्त इस पूरे मामले को एक ख़ास रंग देकर इसे भुनाने की कोशिश हो रही है.