असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) का अंतिम ड्राफ्ट सामने आने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि 30 अगस्त से 28 सितम्बर के बीच सुनवाई के बाद भी अगर किसी का नाम इस लिस्ट में नहीं आया तो उनके भविष्य का क्या होगा?
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अभी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर ये लिस्ट जारी कि जा रही है, लेकिन उसके बाद क्या करना है, इसके लिए नीति को अंतिम रूप नहीं दिया गया है.
क्या है NRC ?
NRC मतलब नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस. इसमें वो लोग शामिल होते हैं असम में रहने वाले हों और वहां के नागरिक हों. इसका क्या क्राइटेरिया है, क्या क्या शर्तें हैं, इस पर साफ़ साफ़ तौर पर NRC की वेबसाइट पर जानकारी दी गई है. NRC में शामिल ये लोग होंगे :
- जिन लोगों के नाम 1951 में अपडेट की गई लिस्ट में हों.
- जिन लोगों के नाम 24 मार्च 1971 की रात तक बने चुनाव लिस्टों में से किसी भी लिस्ट में हो.
- ऊपर बताये गए लोगों के बच्चे.
- इस पूरी कवायद ने लोगों के बीच सनसनी फैला दी है.
- 1 जनवरी 1966 के बाद और 25 मार्च 1971 के पहले असम में आए लोग जिन्होंने फॉरेनर्स रजिस्ट्रेशन रीजनल अफसर के निर्देशानुसार सारे कागज़ पूरे दिए हों और उनको अवैध घुसपैठिए या आप्रवासी ना घोषित किया गया हो.
- जो लोग असम के मूल निवासी हैं वो. उनके बच्चे. जिनकी भारत की नागरिकता साबित की जा चुकी है.
- नंबर 4 में जिन लोगों की बात की गई है वो भी नागरिकता के लिए आवेदन दे सकते हैं लेकिन उन्हें फॉरेन ट्रिब्यूनल से क्लियरेंस लेना होगा कि वो पक्के तौर पर अब विदेशी नहीं हैं.
- 24 मार्च 1971 के बाद असम जाकर बसे सभी भारतीय नागरिक (और उनके बच्चे) जो 1971 से पहले भारत में अपनी रिहाइश का संतोषजनक सबूत दे सकें. 1971 तक जारी किया गया कोई भी पहचान पत्र जो सरकार द्वारा मान्य है, वो स्वीकार्य होगा पहचान हेतु प्रस्तुत करने के लिए.
- जिनके पास भी नागरिकता का कोई भी सुबूत है, उनको इस लिस्ट में ज़रूर रखा जाएगा ऐसा वादा किया गया है.
- टी ट्राइब्स के सदस्य भी नागरिकता पाएंगे वो भी असम के मूल निवासियों के रूप में. अगर रजिस्टरिंग अधिकारी को वे ये साबित कर सकें कि वो यहीं के नागरिक हैं तो उनके नामा भी जोड़ दिए जाएंगे.
NRC का मुख्य काम असम के नागरिकों का लेखा-जोखा रखना है. इसमें अपडेट होते रहते हैं. इस बार ये अपडेट 30 जुलाई 2018 को हुआ है. इसके बाद ही पता चला कि लगभग 40 लाख लोगों के नाम इस लिस्ट से बाहर हैं. असम इकलौता ऐसा राज्य है जिसका अपना सिटिज़न रजिस्टर है. क्यों? क्योंकि असम में बांग्लादेश से आने वाले अवैध आप्रवासियों (इल्लीगल इमिग्रेंट्स) का मुद्दा बहुत नाजुक है. यहां जो बार बार 24 मार्च 1971 की बात की जा रही है ये भी महत्वपूर्ण है.
घर घर एप्लीकेशन फॉर्म्स दिए गए. एक परिवार के लिए एक फॉर्म. 6 सदस्यों तक के लिए. उनका वेरिफिकेशन किया गया. ऑफिस में. फिर फील्ड में. ये जो ड्राफ्ट है ये हर गांव से लेकर वार्ड तक में देखने के लिए लगाया गया है जहां से भी एप्लीकेशन फॉर्म दिए गए और जमा किये गए थे. इसके लिए ख़ास तौर पर बनाए गए सेवा केन्द्रों पर भी इनको लगा कर जनता को जानकारी दी जा रही है. जो ये पहला ड्राफ्ट है इसमें ये कहा गया है कि लगभग जितने 3.29 करोड़ लोगों ने नागरिकता के एप्लीकेशन फॉर्म जमा किए थे, उनमें से 2.89 करोड़ ही नागरिकता ले पाने के लायक हैं. यानी लगभग 40 से 41 लाख लोग असम के नागरिक बन पाने के लायक नहीं हैं.आप्रवास यानी इमिग्रेशन हमेशा लोग अपनी मर्ज़ी से नहीं करते.
वो लोग क्या करें जिनका नाम इस लिस्ट में नहीं है?
उनके लिए भी मौका हाथ से निकला नहीं है. सेवा केन्द्रों पर जाकर एप्लीकेशन फॉर्म भरे जा सकते हैं. अगर नाम, उम्र, पते, डेट ऑफ बर्थ में कोई गलती है तो वो भी सही करवाई जा सकती है. जिन लोगों के नाम नहीं है ड्राफ्ट में, वो इसकी एप्लीकेशन 7 अगस्त 2018 से 28 सितम्बर 2018 तक दे सकते हैं. क्लेम्स एंड ऑब्जेक्शन्स के फॉर्म सिर्फ सेवा केन्द्रों पर जमा होंगे. डाउनलोड वो ऑनलाइन भी किये जा सकते हैं NRC की वेबसाइट से.जब तक NRC की आखिरी लिस्ट नहीं आ जाती, तब तक ये आंकड़ा बदलेगा.
बंगाल में इस चीज़ पर हड़कंप मच गया है. इस पर लोग कह रहे हैं कि ये बीजेपी की चाल है. इसका इस्तेमाल करके वो मुस्लिमों को देश से बेदखल कर देना चाहती है. क्योंकि बांग्लादेश से आने वाले लोग अधिकतर मुस्लिम हैं इसलिए ये सवाल उठाया जा रहा है. हालांकि ये पूरी कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की देख रेख में हो रही है, इस पर धार्मिक एंगल डालने वाले लोग कम नहीं हैं. साल 2014 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार देश की जेलों में लगभग 6000 विदेशी नागरिक बंद हैं और उनमें से अधिकतर बांग्लादेशी हैं. असम में अवैध आप्रवासियों की संख्या को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है. लेकिन इस वक़्त इस पूरे मामले को एक ख़ास रंग देकर इसे भुनाने की कोशिश हो रही है.