NRC पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश: 25 सितंबर से 60 दिनों तक अपनी नागरिकता कर सकते हैं साबित!

सुप्रीम कोर्ट ने असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मसौदे से बाहर रह गए, करीब 40 लाख व्यक्तियों के दावे और आपत्तियां स्वीकार करने का काम शुरू करने का बुधवार को आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राष्‍ट्रीय नागरिकता रजिस्‍टर के दूसरे मसौदे से बाहर होने वाले नागरिक 25 सितंबर से 60 दिनों तक अपनी नागरिकता साबित कर सकते हैं।

इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों को राहत देते कहा है कि वह 15 दस्‍तावेजों में से 10 दस्‍तावेजों को दिखा सकते हैं। इस मामले में एनआरसी कॉर्डिनेटर अन्‍य पांच पर अपनी राय बना सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगर दस्‍तावेजों में कमी पाई जाती है तो यह जरूरी नहीं कि उस व्यक्ति को दूसरा मौका दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 23 अक्‍टूबर निर्धारित की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनआरसी कॉर्डिनेटर इस मामले से जुड़ी गोपनीय जानकारी केंद्र सरकार से साझा नहीं कर सकती है। एनसीआर कॉर्डिनेटर इस मामले से जुड़ी कोई भी जानकारी मीडिया या फिर सार्वजनिक मंच पर साझा नहीं करेगी।

जस्टिस रंजन गोगोई और आरएफ नरीमन की एक पीठ ने कहा कि यह प्रक्रिया 25 सितंबर से 60 दिन की अवधि के लिए शुरू होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जो दूसरे 5 दस्तावेज हैं उन पर बाद में विचार करेंगे।

एनआरसी कॉर्डिनेटर प्रतीक हेजेला केंद्र सरकार के हलफ़नामे पर अपना जवाब दाखिल करेंगे और बताएंगे कि पांच अतरिक्त दस्तावेजों में से किसको शामिल किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एनआरसी कॉर्डिनेटर को आदेश दिया कि वह ड्राफ्ट की कॉपी केंद्र सरकार के साथ साझा नहीं करेंगे। साथ ही बेंच ने कहा कि एनआरसी कॉर्डिनेटर किसी भी दावे और सत्यापन का खुलासा भी नहीं करेगा।

नागरिकता की पुष्टि के लिए मंजूर किए गए दस विरासत दस्तावेजों में रजिस्टर्ड सेल डीड, राज्य के बाहर से जारी स्थाई आवासीय प्रमाणपत्र, प्रासंगिक अवधि वाला पासपोर्ट और एलआईसी बीमा पॉलिसी जैसे दस्तावेज शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस समय हमें जुलाई में प्रकाशित एनआरसी के मसौदे में शामिल करने के बारे में दावे और आपत्तियां दाखिल करने की प्रक्रिया पर जोर देने की आवश्यकता है।

पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मसले के परिमाण को देखते हुए ही नागिरकों को दूसरा मौका दिया जा रहा है। पीठ इस मामले में अब 23 अक्तूबर को आगे विचार करेगी।

पीठ ने एनआरसी में नाम शामिल करने के लिये चुनिन्दा दस्तावेजों की स्वीकार्यता और अस्वीकार्यता के संबंध में केन्द्र के रूख पर असम एनआरसी के समन्वयक प्रतीक हजेला से उनकी राय भी पूछी है।शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार, राष्ट्रीय नागरिक पंजी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की मध्य रात प्रकाशित हुआ था।

तब 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे। गौरतलब है कि राष्ट्रीय नागिरकता रजिस्टर का दूसरा मसौदा 30 जुलाई को प्रकाशित किया गया था।

जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे। इस मसौदे में 40,70,707 लोगों के नाम नहीं थे। इनमें से 37,59,630 लोगों के नाम अस्वीकार कर दिए गए थे, जबकि 2,48,077 नाम लंबित रखे गए थे।

शीर्ष अदालत ने 31 जुलाई को स्पष्ट किया था कि जिन लोगों के नाम एनआरसी के मसौदे में शामिल नहीं है, उनके खिलाफ प्राधिकारी किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे, क्योंकि यह अभी सिर्फ मसौदा ही है।