एनआरसी मसौदा : कहीं मुल्क में दूसरे रोहिंग्या पैदा करने की साजिश तो नहीं

असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) का अंतिम मसौदा जारी कर दिया गया है। इसके अनुसार 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों को वैध नागरिक माना गया है।

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जारी होने के बाद पता चला है कि असम में रह रहे क़रीब 40 लाख लोग अवैध विदेशी हैं जिस पर पूरे देश में सियासी हलचल बढ़ गई है।

इस मसले पर प्रोफ़ेसर अख्तर उल वसी ने अपनी चिंता का इज़हार करते हुए कहा कि जिस तरह से असम के लोगों की नागरिकता पर सवाल खड़ा किया जा रहा है, यह गलत है।

इस राज्य के लोग गरीब हैं, उनको उनकी नागरिकता से वंचित करना एक साजिश है। एनआरसी के माध्यम से भाजपा लोगों के बीच कलह पैदा कर रही है। ऐसे में उन सभी लोगों को सामने आना चाहिए जो धर्मनिरपेक्ष हैं।

भाजपा को भी यह समझना चाहिए कि वह जो कुछ भी कर रही है वो इंसानी दोस्ती और हिंदुस्तानी रिवायत के खिलाफ है। वहीँ, कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफ़ज़ल ने यह काम ईमानदारी से होना चाहिए।

असम में भाजपा सरकार के आने के बाद से ही बड़े पैमाने पर नाम खारिज किये गए हैं। इसको लेकर स्थानीय लोगों ने शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) का अंतिम मसौदा जारी करने के बाद से भाजपा के लोगों में जोश है और भाजपा अध्यक्ष ने कहा था कि हमने असम को जीता है और अब पश्चिम बंगाल को भी जीतेंगे।

जमात-ए-इस्लामी-हिन्द के सदर मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) के अंतिम मसौदे पर गहरी चिंता प्रकट की है जिससे क़रीब 40 लाख लोग नागरिकता से वंचित रह जायेंगे।

अब सरकार ने एनआरसी में नाम दर्ज़ कराने के लिए साक्ष्य उपलब्ध कराने की बात कही है। जिन लोगों को इस लिस्ट से बाहर किया गया है, उनके दस्तावेज में मामूली खामी रही।

ऐसी भी शिकायतें मिली हैं कि वहां के अधिकारियों ने समस्त दस्तावेज पेश करने के बावजूद लोगों का नागरिकता से वंचित कर दिया है। ऐसे लोगों को जरूर एक मौका मिलना चाहिए।

किसानों के लिए आवाज बुलंद करने वाले सीपीएम नेता अतुल कुमार अंजान ने वहां के लोगों को इस वाकये से नहीं घबराने की सलाह दी और कहा कि यह कोई फाइनल लिस्ट नहीं है और सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले पर नजर रखे हुए है। इसमें काफी गलतियां हैं जिनको दूर किया जाना चाहिए।