साल 2002 में गुजरात के नरोदा पाटिया दंगा मामले में सुनवाई कर रही गुजरात हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आज घटनास्थल का दौरा किया, ताकि घटना की सही तस्वीर समझ में आ सके। इस नरसंहार में 97 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम थे।
जस्टिस हर्ष देवनानी और जस्टिस ए एस सिपहिया अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में पहुंचे, जो वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद दंगों में हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र था।
न्यायाधीशों ने घटनास्थल पर दो घंटे बिताए। जस्टिस हर्ष देवनानी और जस्टिस ए एस सिपहिया की खंडपीठ ने कल अपने आदेश में कहा कि वकीलों द्वारा दायर किये गए आवेदन में तर्क है और वे लोग नरोदा पाटिया में घटनास्थल का दौरा करेंगे।
अदालत ने कहा कि शुरुआत से जब मामले की सुनवाई हो रही है और दोनों पक्षों के वकील अदालत से घटनास्थल का दौरा करने के लिए अनुरोध कर रहे हैं ताकि घटना कैसे घटित हुआ था, उसे अच्छी तरह से समझा जा सके।
विशेष अदालत ने 30 अगस्त 2012 को कोडनानी और 29 अन्य लोगों को आजीवन कारावास जबकि आरोपी बाबू बजरंगी को हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप में ‘आजीवन कारावास’ की सजा सुनाई थी। कोडनानी को 28 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन फिलहाल वह जमानत पर हैं।
उल्लेखनीय है कि गुजरात हाईकोर्ट के एक जज ने खुद को 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले से जुड़े आवेदनों की सुनवाई से अलग कर लिया। ऐसा करने वाले वह तीसरे न्यायाधीश हैं।
याचिकाएं जब सुनवाई के लिए खंडपीठ के सामने लाई गईं, जिसमें न्यायमूर्ति अकील कुरैशी शामिल हैं, तो उन्होंने कहा कि ” मेरे सामने न लाएँ।
गुजरात की पूर्व मंत्री मायाबेन कोडनानी और विहिप के पूर्व नेता बाबू बजरंगी ने विशेष निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।