नई दिल्ली : बैडमिंटन असोसिएशन ऑफ इंडिया के आला अधिकारियों, जिनमें इनके अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद डॉक्टर अखिलेश दास गुप्ता पर गंभीर आरोप लगे हैं। इन अधिकारियों पर आरोप हैं कि इन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खिलाड़ी बताकर जापान दौरे पर ले गए। मामले की अब सीबीआई जांच की जा रही है। सीबीआई ने इनके खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
यह बात सामने आ रही है कि बीएआई और इसकी दिल्ली यूनिट- दिल्ली कैपिटल बैडमिंटन असोसिएशन (डीसीबीए)- बतौर खिलाड़ी भेजे जाने के योग्य नहीं थे क्योंकि उन्होंने कभी राज्य या क्षेत्र के स्तर पर किसी टूर्नमेंट में भाग नहीं लिया था। चयन के लिए खिलाड़ी की उम्र 17 से 23 के बीच होना आवश्यक जरूरी था। इसके अलावा यह भी आवश्यक था कि उस खिलाड़ी ने अपने देश में राज्य या क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया हो। जापान ने इन ‘खिलाड़ियों’ को न्योता भेजा था। सीबीआई ने इस मामले में खेल मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी है पर अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि जांच एजेंसी को पता चला था कि बीएआई और डीसीबीए अधिकारियों ने 2014 में 23 खिलाड़ियों को जापान भेजने में भारी भेदभाव किया हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन जापान सरकार ने यूथ स्पोर्ट्स एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत तोक्यो में किया था। खिलाड़ियों के साथ दो सुपरवाइजर भी थे। जापान सरकार ने इस पूरे कार्यक्रम का खर्चा उठाया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य एशियाई देशों में जापानी संस्कृति और नैतिक मूल्यों को फैलाना था।
सीबीआई सूत्रों का आरोप है कि अखिलेश दास गुप्ता, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बनारसी दास के पुत्र हैं, अन्य आला अधिकारी, जिनमें डीसीबीए के जनरल सेक्रटरी जितेंदर कोचर, डीसीबीए के उपाध्यक्ष हरीश आहूजा, पूर्व सचिन ऑफ डीसीबीए अपिंदर सभरवाल, पूर्व कोषाध्यक्ष डीसीबीए कमल कुमार थापर और पूर्व सदस्य हरीश मित्तल ने मिली-भगत से अपने परिजनों को ट्रिप पर भेज दिया। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए न तो किसी ट्रायल का आयोजन करवाया गया और न ही बैडमिंटन खिलाड़ियों को न्योता देने के लिए कोई विज्ञापन ही छापा गया।
अखिलेश दास गुप्ता ने कहा, ‘यह एक शहर स्तर का कार्यक्रम था और बीएआई का इससे कोई लेना-देना नहीं था। डीसीबीए ने इस कार्यक्रम के लिए दिल्ली से खिलाड़ियों को चुना था। इस कार्यक्रम में केवल खेल ही नहीं बल्कि क्विज और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी थे।
दास गुप्ता ने कहा, ‘जहां तक मेरी बेटी का सवाल है तो उसे तोक्यो के लिए डीसीबीए ने चुना था और मैं इस चयन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं था। इसके लिए आवश्यक योग्यता यह थी कि युवाओं को बैडमिंटन की जानकारी होनी चाहिए। मेरी बेटी ने सीबीएसई द्वारा आयोजित नैशनल स्कूल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया था।