भारत में बुजुर्ग महिलायें सबसे ज़्यादा परेशान: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड के अनुसार वर्ष 2030 तक देश की कुल आबादी में 60 साल के बुजुर्ग की संख्या 12.5 प्रतिशत हो जाएगी। और पुरुषों की तुलना में बुजुर्ग महिलाओं की हालत ज्यादा खराब होगी।

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केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत की उपस्थिति में कल यहां ‘केयरिंग एल्डर्स’ के शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की जीवन अधिक होने की वजह से उन्हें कई तरह के आर्थिक और सामाजिक संकट से गुजरना पड़ता है। विशेष रूप से पति की मौत के बाद ऐसी महिलायें कई तरह के दुख का शिकार होती हैं।

इनके लिए आर्थिक असुरक्षा बड़ा कारण बनता है। एक सर्वेक्षण के अनुसार ऐसी 10 फीसदी महिलाएं अकेले रहने को मजबूर हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक बुजुर्गों की संख्या 20 प्रतिशत हो जाएगी।

रिपोर्ट में बुजुर्गों की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं और उनके कारणों का उल्लेख करते हुए इसे खत्म करने के लिए सरकार और नागरिक संगठनों ने प्रभावी नीतियां बनाने का अनुरोध किया है। इस अवसर पर श्री गहलोत ने उम्र के साथ आने वाली बीमारियों से जूझ रहे बुजुर्गों की मदद के लिए ‘राश्ट्रीय देवश्री’ योजना शुरू करने की तैयारी की सूचना दी है।

संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड के भारतीय इकाई के डायरेक्टर डियोगो पालिशियो ने आम जनता, सिविल सोसायटी और सरकार से बुजुर्गों की मदद के लिए हाथ बढ़ाने का अनुरोध किया है।