बिहार के दरभंगा जिले में एक मुस्लिम युवक ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए एक हिंदू परिवार की मदद की। इतना ही नहीं, उन्होंवने उसकी मदद के लिए अपना रोजा तोड़ दिया, जिसके बाद उन्होंने उस हिन्दू बच्चे की जान बचाने के लिए अपना खून दिया।
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खबर के मुताबिक, दरभंगा के एसएसबी जवान रमेश कुमार सिंह की पत्नी आरती कुमारी ने दो दिन पहले एक निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन के बाद बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन जन्म के बाद बच्चे की हालत बिगड़ने लगी। जिसके बाद आनन-फानन में बच्चे को मां से अलग कर आईसीयू में रखा गया। डॉक्टरों ने बच्चे को बचाने के लिए खून की मांग की, नवजात बच्चे का ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव (रेयर) होने के कारण खून आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा था।
जिसके बाद बच्चे को बचाने के लिए परिवार वालों ने सोशल मीडिया पर अपनी जरूरत बताने के साथ एसएसबी बटालियन में भी अलग-अलग जगहों पर मैसेज भेजा। सोशल मीडिया के जरिए संदेश मोहम्मद अस्फाक तक पहुंचा। इस मैसेज को पढ़ने के बाद मोहम्मद अस्फाक ने तुरंत पीड़ित परिवार से संपर्क किया और अस्पताल पहुंच गया और खून देने की इच्छा जताई।
लेकिन रोजे पर होने की वजह से डॉक्टरों ने उसका खून लेने से इनकार कर दिया। लेकिन मोहम्मद अस्फाक ने नवजात बच्चे की जान बचाने के लिए बीच में ही रोजा तोड़कर कुछ खाने को मांगा, जिसके बाद डॉक्टरों ने उनका खून लिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, नवजात बच्चे के लिए अपना खून देने वाले अशफाक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रोजा तो फिर कभी रख लेंगे पर जिंदगी किसी की लौट कर नहीं आती। उन्हें गर्व है की आज खुदा ने उनसे यह काम करवाया, उन्हें इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि नवजात किस जाति या धर्म का है।