उच्च शिक्षा दर में लगातार बढ़ोतरी के बाद भी मुस्लिम समुदाय 14 फीसदी पीछे- सर्वे

दिल्ली। उच्च शिक्षा दर में लगातार बढ़ोतरी के बाद भी मुस्लिम समुदाय 14 फीसदी पीछे हैं। इसका खुलासा स्टूडेंट इस्लामिक संगठन की ओर से उच्च शिक्षण संस्थानों में कराए गए सर्वे रिपोर्ट में हुआ है।

संगठन ने इसपर चिंता जताते हुए मुस्लिम जिलों में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के ऑफ कैैंपस (एएमयू) खोलने की मांग की है। ताकि इस समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा से जोड़ा जा सके।

दिल्ली में मंगलवार को स्टूडेंट इस्लामिक संगठन की ओर से सेंटर फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग की 34 बड़े विवि में मुस्लिम छात्रों की संख्या पर सर्वे रिपोर्ट साझा की गई।

रिपोर्ट के अनुसार इन विश्वविद्यालयों में कुल 9,15,806 छात्रों में से मुस्लिमों की संख्या महज 63,325 है। जामिया मिलिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ को छोड़कर अन्य बड़े विश्वविद्यालयों में मुस्लिम छात्रों का आंकड़ा दस फीसदी भी नहीं है।

जेएनयू के रिसर्च फ्लोअर सदत हुसैन के मुताबिक, जामिया में मुस्लिम छात्रों का आंकड़ा 50 फीसदी और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 75 फीसदी है। जबकि भारत में साक्षरता दर 74 फीसदी और मुस्लिमों में यह आंकड़ा 60 फीसदी है। इसी तरह 17 वर्ष की आयु वर्ग की साक्षरता दर 26 फीसदी तो मुस्लिम में यह आंकड़ा 17 फीसदी है।

संगठन के राष्ट्रीय सचिव लबीद आलिया का कहना है कि उत्तर भारत में स्थिति अधिक खराब है। जबकि मुस्लिम की बड़ी आबादी यही बसती है। इसलिए सरकार से हम मांग करते हैं कि मुस्लिम जिलों में एएमयू के ऑफ कैंपस खोले जाएं। स्कूलों में 11वीं व 12वीं कक्षा के छात्रों को स्कॉलरशिप, मदरसा से पासआउट छात्रों को एएमयू की तर्ज पर दाखिला,स्कूल व कॉलेजों में शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती, केवी व मॉडल स्कूल की तर्ज पर 90 जिलों में स्कूल खोलने की मांग रखी है।