प्रधान सेवक,भक्तों और संघी गुंडों के नाम खुला खत…

नमस्कार और लाल सलाम,

देश में संघियों और ब्राह्मणवाद ने जिस तरह का माहौल खड़ा कर दिया है उस सबको देख कर मुझे यह खुला खत लिखने और उसमें लाल सलाम लिखने की जरूरत महसूस हुई। खत देश के लोगों, प्रधानसेवक और उसके प्यादों के नाम है। भक्त जो यहाँ यह भौंकने के लिए कमेंट करना चाहते हैं कि तुम्हे बोलने की तमीज नहीं है या ऐसा कुछ वो पहले अपनी माँ की इज़्ज़त करना सीखें उसका ध्यान रखें बाद में यहाँ भौंकने की हिम्मत करें। और किसी के लिए इज़्ज़त भरे शब्द यहाँ लिखे जायेंगे इसकी उम्मीद तो बिलकुल मत करें क्यूंकि इज़्ज़त उनको दी जाती है जो इस लायक हों। सत्ताधारियों के आगे कुत्तों की तरह दम हिलाने वाले लाल सलाम बोलने की हिम्मत नहीं करते।

बहुत दिनों से देश में बन रहे माहौल को देख रहा था और परेशान था कि कैसे कुछ लोग एक निहत्थे आदमी/ औरत को घेर डंडों, लाठियों या हथियारों से पिटाई करते हैं और जान निकाल लेते हैं। इतना सब कुछ देखने और वीडियो बनाने के लिए बहुत मजबूत जिगर वाले कुछ लोग नपुंसकों की तरह तमाशा देखने लगे रहते हैं पर किसी की हिम्मत नहीं होती कि उन गुंडों पर टूट पड़े ताकि दोबारा किसी की हिम्मत न पड़े यह सब करने की।

मेरे देश की जनता जनार्दन जिसे चुनावों के दौर में 100 रूपये देकर भी खरीदा जा सकता है उस से मैं कहना चाहता हूँ:

मित्रों (सम्बोधन के लिए यही बाँग मुझे ठीक लगी क्योंकि इसे सुनकर लोग झूम उठते हैं) !!

मारे जा रहे लोग मुस्लिम हैं सिख हैं या दलित मैं इस बारे में कुछ नहीं बोलूंगा। मरने वाला चाहे जुनैद हो या बंता सिंह। कांड चाहे गुजरात में हुआ हो या सहारनपुर या यूपी या पटिआला मरने वाला हिन्दू हो या मुस्लिम या कोई और मौत सबको लेकर ही जाती है। मसला यहाँ यह है कि जिसकी शह पर यह सब हो रहा है वो पर्दे के पीछे से सारा खेल खेल रहा है। और तुम लोग सब कुछ जानते हुए भी अंधों की तरह बर्ताव कर रहे हो। ऐसे बर्ताव कर रहे हो जैसे कुछ देखा ही नहीं और न ही किसी भीड़ में रोने कराहने की आवाज़ तुम्हे सुनाई दे रही हो। क्या तुम उसी दिन जागोगे जिस दिन तुम्हारी अपनी बेटी उठायी जायेगी या तुम्हारी माँ की आबरू पर आंच आएगी?? या उस दिन भी गूंगे बेहरे बने रहोगे?? क्या उस दिन भी नहीं बोलोगे जिस दिन तुम्हारे बाप को कोई इस तरह भरे बाजार पीटेगा? लोगों की चीखें सुनकर भी कुछ नहीं करोगे तो दिन तुम्हारे भी आएगा। तुम किसी वीआईपी की औलाद नहीं हो मारने वाले को इस बात से कोई मतलब नहीं कि तुम हिन्दू हो या मुस्लिम उसे मारने के लिए पैसे मिले हैं और इलाके पर कब्ज़ा दिए जाने का लालच भी, बचना चाहते हो तो आवाज़ उठाना सीखो। तुम्हारे पुरखों ने देश की आज़ादी के लिए सत्याग्रह भी किया और जानें भी दीं तुम निठल्ले, आलस और डर के मारे जोर से खांसने से भी घबराने लगे हो तो अंजाम तुम्हारा भी वही होगा जो दूसरी जाति या धर्म के लोगों के साथ हुआ है। तुमने आज आवाज न उठाई तो तुम्हारी माँ, बहन, बेटी भी उठायी जायेगी और उस वक़्त भी लोग नपुंसकों की तरह खड़े हो तमाशा देखेंगे जैसे आज तुम देख रहे हो। इतने बेदर्द और कब से हो चुके हो कि किसी को मरता देख बिना कुछ किये घर पहुँच जाते हो चुप चाप और रात भर नींद ले अगले दिन काम पर हाजिर हो जाते हो ??

मंदिर में सिर बाद में झुका लेना, मस्जिद में सजदा बाद में कर लेना और गुरुद्वारे में शीश बाद में झुका लेना पहले इंसान बनकर इंसान की मदद करना सीखो और गलत के खिलाफ आवाज़ उठाना सीखो। उस पार्टी उस संगठन उन लोगों का बायकाट करो जो हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। नहीं तो कल किसी को मुंह दिखने की बात तो छोड़ो खुद से नज़रें मिलाने लायक नहीं रह पाओगे।

अब चंद शब्द प्रधानसेवक के लिए:

कैमरे के सामने पोज़ देने, मंच पर आंसू बहाने और लम्बी लम्बी फेंकने से देश चलने वाला होता तो आज भारत दुनिया का सबसे महान देश होता। बात बहुत दुःख की है कि कुछ लोगों का दम टीवी पर बिकाऊ मीडिया द्वारा आयोजित कार्यक्रमों/ इंटरव्यू के दौरान ही देखने को मिला। वैसे तो वो पडोसी मुल्क जिसे वो हर जगह दुश्मन कहते फिरते हैं के नाती-पोतों की शादियों में झूमते पाए गए। सरहद पार से सर काट के लाने का वायदा था। गए तो लेकिन चाय की चुस्की लेने। डिग्री से लेकर दहाड़ जिसकी शक के घेरे में हो उसे सम्मान देने के मूड में मैं तो बिलकुल नहीं हूँ।

तुम समझ तो गए होंगे यहाँ ज़िक्र किसी गैर का नहीं बल्कि तुम्हारा ही हो रहा है। आखिर दुनिया में कौन इतना वफादार है जो हर कदम अपने दुःख सुख के साथी अम्बानी-अडानी, मालया और जिंदल के फायदे के लिए उठाये? कौन है जो पूरे देश को कतार में खड़ा कर लाइव टीवी पर रोने नाटक करे और चोर रास्ते से अपने चहेतों का पैसा बदलवाने के लिए नीतियां बना दे। लोग कतार में थे और तुमने अपने गरीब दोस्तों का करोड़ों का क़र्ज़ माफ़ कर दिया किसी को भनक भी न लगी। ऐसा तो कोई चालाक बनिया ही कर सकता है। पर अच्छा है तुमने कोई औलाद पैदा नहीं की क्यूंकि तुम्हारे यह गुर चंद दोस्तों के लिए तो अच्छे होंगे लेकिन मेरे देश के लिए नहीं। अच्छा है कि तुम्हारे परलोक सिधार जाने के साथ साथ यह गुण भी जलकर राख हो जायेगा।

मैं तुम्हे चुनौती देता हूँ कि अगर तुम में थोड़ी भी ईमानदारी है तो एक बार लाइव में आकर जनता के सवालों का जवाब दो, सुरक्षा के घेरे में अपने भाड़े के भक्तों से नारे लगवाकर टीवी पर झूठ फैलाने का ड्रामा हम सबको समझ आता है। कभी देश के आम नागरिक से बात करो जो तुम्हारा भक्त न हो और जिसने भगत सिंह को पढ़ा हो न कि तुम्हारे गुरु गोवलकर, नाथूराम गोडसे या सावरकर को। मैं तुम्हे इस बात की भी चुनौती देता हूँ कि आईटी सेल बनाकर गालीबाज लौंडों की फ़ौज के पीछे छुपकर ट्वीट पे ट्वीट करने की बजाये सामने आकर बात करो फिर तुम देखोगे कि फर्जी फॉलोवर्स की भीड़ और असल लोगों में क्या फर्क होता है।

पता चला है कि जो कोई सवाल पूछता है उसे किसी न किसी तरीके से कानूनी कार्रवाई में फंसाने की चाल चल देते हो। घटिया राजनीति के दम पर यहाँ तक पहुँच गए हो लेकिन दिन जनता का भी आएगा और वो देश को बचाने के लिए आगे आएगी बशर्ते तब तक यह देश बिक न चुका हो।

कुछ दिन पहले भाषण में तुम्हे कहते सुना कि गाँधी के देश में लोगों को कानून हाथ में लेने की इजाज़त नहीं है। आज की बात करूँ तो आज गाँधी का राज नहीं है तुम्हारे हाथ में कमान है तो क्या तुम्हारे कहने का मतलब यह है कि मेरे भारत में क़ानून हाथ में ले लो पर जो लोग आज भी सोचते हैं कि देश गाँधी का है वो मामला अपने हाथ में न लें ?? तुमने देश की कमान चरखा कातने का नाटक करते फोटो खिंचवाने के लिए नहीं दी है। चरखा कातना है तो चलो हम तुम दोनों साथ में ग्रामीण भारत में चलते हैं और हथकरघा उद्योग के श्रमिकों के साथ चरखा कातते हैं तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ कि तुम्हारा वो दौरा कोई इवेंट नहीं होना चाहिए वहां कोई कैमरा नहीं होगा न कोई पत्रकार और उस दिन जितनी गांठें तुम कातोगे उस हिसाब से मजदूरी दिलवाने का वादा मैं करता हूँ क्यूंकि मैं आम नागरिक हूँ सरकार की तरह चोर नहीं जो मुकर जायेगा । जब तक तुम यह नहीं कर सकते तुम्हारी आम आदमी की नजर में छवि एक सेवक की नहीं बन पायेगी प्रधान सेवक की पदवी तो तुम भूल ही जाओ।

अब कोविंद नाम की चाल चल तुम मीडिया में फिर वाहवाही लुटोगे, तुम्हारे आईटी सेल के बेअकल बदतमीज लौंडे सब जगह पोस्ट वायरल करते फिरेंगे कि कितना बड़प्पन है प्रधानसेवक का जिसने दलित को देश का राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया; फ़्लान-ढिमकान लेकिन इतना हम सभी को पता है कि तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है। तुम्हे राजनीति करने का बहुत शौंक है न तो एक काम करो

यूजीसी नेट का जो कोटा तुम्हारी सरकार के इशारों पर काम किया गया है उसे पहले जितना या उस से दोगुना कर दो।
पहले की तरह नेट का एग्जाम साल में दो बार करवाने को आदेश जारी करो
नेट क्वालीफाई करने का जो मापदंड पहले था उसी मापदंड को वापिस लागू करवाओ।
मुझे पता है तुम नहीं करोगे, न ही तुम्हारे आका तुम्हे यह करने देंगे क्यूंकि देश को भगवा राष्ट्र जो बनाना है। देश में शिक्षा का स्तर ऊपर उठेगा तो नए लड़के-लड़कियां राजनीति में आएंगे और तुम या तुम्हारी गायकों- फिल्म अभिनेताओं या रूढ़िवादी सोच रखने वाले तुम्हारे साथियों में से किसी में भी इतना दम नहीं की उनके सामने टिक पाओ।

लेकिन वक़्त तो पलटेगा, हम पलटेंगे वक़्त को तुम कोई भी चाल चलो पलटवार करेंगे। एक को मारोगे तो दस खड़े होंगे दस को मारोगे तो दस हजार। लेकिन दुःख इस बात का है कि मरने वाला भी आम इंसान होगा और मारने वाले तुम्हारे प्यादे भी आम इंसान ही हैं। तुम्हारे गिरेबान तक कोई हाथ पहुंचे ऐसा हो नहीं सकता लेकिन; देश की युवा पीढ़ी लाचार नहीं है, वो पानी की तरह अपना रास्ता बना ही लेगी, वो समंदर भी लांघ लेगी और देशना एक दिन तुम्हारा तख़्त भी तुमसे छीन लेगी। इस से ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा तुम खुद समझदार हो और डरपोक भी क्यूंकि अपने खिलाफ उठती आवाजों को दबाने या ख़त्म करने के लिए बदनाम हो तुम पर मुझे परवाह नहीं, मैं आज भी लाल सलाम कहता हूँ और कल भी कहूंगा जब तक रिश्वतखोरी, लाल फीताशाही, फासीवाद, तर्क करने की आजादी पर रोक लगी रहेगी तब तक लाल सलाम कहना ही पड़ेगा हम आसमान तक यह नारा गूंजता ही रखेंगे।

कुछ शब्द संघियों और पालतू गुंडा तत्वों के लिए:

चंद पैसों के लिए काम करने वाले भाड़े के ट्टूओ हिम्मत है तो एक-एक कर सामने आओ, दस लोग एक आदमी पर टूट पड़ते हो हिम्मत है तो खुले में ललकार दो और जिसको मारने की कोशिश करते हो उसे भी अपने जैसा हथियार दो। फिर देखो तुम्हारा क्या हाल होता है। आम आदमी के सामने आओ, उसकी आँखों में देखो। शायद तब तुम्हे खौफ का एहसास तुम्हारी पतलून गीली होने की वजह से तुम्हे डर का एहसास हो। तुम इस लिए हो क्यूंकि तुम्हे देश की जनता का संरक्षण प्राप्त है। क्यूंकि जनता आज भी वहम में जी रही है। देश तरक्की राह पर है और तुम उस राह के कांटे हो। लेकिन राह में कांटे कितने भी हों मंजिल तक हम जरूर पहुंचेगे चाहे जख्मी ही सही लहूलुहान ही सही। टकराव होगा तो जवाब भी देंगे कामरेडों की तरह लेकिन अब सत्ता में एकाधिकार के तुम्हारे दिन ख़त्म हो चले हैं। अब देश की राजनीति में हर आम आदमी की भागीदारी होगी। सरकार किसी की माईबाप बने ऐसा माहौल ख़त्म करके ही दम लेंगे और हर कदम पर तुम्हारी सच्चाई लोगों के सामने बिखेरेंगे ठीक इसी तरह जिस तरह संघ ने झूठ और पाखंड को पूरे देश में फैलाया है। राजनीति और पावर पाने के लिए तुम इतना गिर चुके हो कि तुम्हें जन्म देने वाली माँ पर तरस आता है। शायद उसे भी खुद पर शर्म आती हो। संघ के वो लोग जो परदे के पीछे से खेल खेल रहे हैं और गौरक्षा के नाम पर बीफ बिज़नेस को अपने कब्ज़े में करने की फ़िराक में हैं याद रखना देशवासी तुम्हें छोड़ेंगे नहीं। तुम्हारी हर साजिश का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हम सब तैयार बैठे हैं। तुम एक को मारोगे दो पैदा होंगे दो को मारोगे बीस पैदा होंगे। तुम दस को जेल में डालोगे बीस और खड़े होंगे। तुम तैयार रहो तुम्हारा असली चेहरा सरे बाजार नंगा करके छोड़ेंगे। अनपढ़ और अपराधियों की फ़ौज पाल कर देश का माहौल ख़राब करने वाले हर शक्श हर संगठन को मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा।

इतना सब पढ़कर अगर तुम बौखलाहट या गुस्सा महसूस कर रहे हो तो मैं अपने मकसद में कामयाब हो गया और इतनी बात तुम भी समझ लेना कि आज का युवा हर परिस्तिथि को अपने पक्ष में पलटने का दम रखता है। तुम्हे लगी मिर्ची के लिए मैं बुरा महसूस करता हूँ लेकिन उसके लिए मैं नहीं तुम्हारी तरफ से देश भर में डाला गंद जिम्मेवार है। मैं इस गंद को साफ़ करने के लिए भी तैयार हूँ लेकिन उसके लिए भी रास्ता तुम खुद ही बनाओगे, अपनी बर्बादी की वजह की वजह तुम खुद ही बनोगे।

source:https://iamkapil.wordpress.com/2017/07/03/देशवासियों-प्रधान-सेवक-उ/