गैर लाभकारी संगठन ‘कम्युनिटी एगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग’ के सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि दिल्ली में मद्यपान की कानूनी उम्र 25 साल है लेकिन 18-25 साल के उम्रवर्ग के 67 फीसद लोगों का कहना है कि वे जब कभी दुकानों पर शराब लेने जाते हैं तो उनसे उम्र प्रमाणपत्र नहीं मांगा जाता है।
दिलचस्प तो यह है कि दुकानों या बारों में उनमें से कभी किसी को मद्यमान की कानूनी उम्र के बारे में बताया भी नहीं गया।
सीएडीडीके के संस्थापक प्रिंस सिंघल ने कहा कि नाबालिगों को शराब की बिक्री पर दिल्ली आबकारी कानून के क्रियान्वयन का असर जानने के लिए एक जून-31 अगस्त के बीच यह सर्वेक्षण किया गया।
सिंघल ने कहा, ‘‘सरकारी शराब दुकानें, बार, पब, आबकारी विभाग, पुलिस इनमें से कभी कोई ग्राहक की उम्र नहीं परखता। यह न केवल न्यूनतम उम्र कानून का पूरी तरह मखौल बनाना है बल्कि कम उम्र वालों को शराब पीने और पीकर गाड़ी चलाने के लिए उकसाना भी है , फलस्वरुप सड़क हादसों में लोगों की जान चली जाती है।