सोहराबुद्दीन केस पर जस्टिस शाह के फैसले ने पूरे न्यायिक प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं- वरिष्ठ एडवोकेट दुष्यंत दवे

न्यायमूर्ति बीएच लोया की मौत को लेकर एक बार फिर से सोशल मीडिया पर बहस चल रही  है।

आरोप है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह ने सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में भाजपा नेता अमित शाह के पक्ष में फैसला देने के लिए जस्टिस लोया को रिश्वत के लिए  पेशकश की थी। जो  लीगल फेर्टलिटी  को हिला कर रख दिया है

दो साल पहले, वरिष्ठ एडवोकेट दुष्यंत दवे ने तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू को एक पत्र लिखा था जिस में उन्होंने जस्टिस मोहित शाह के फेसले का विरोध किया था, बार और पीठ कौंसिल के मुरली कृष्णन ने देव से इस विवादित मसले पर उनकी राय मांगी थी।

मुझे इस तथ्य के बारे में कोई संदेह नहीं है कि न्यायमूर्ति मोहित शाह ने अपने आप को और न्यायपालिका की संस्था के साथ ही न्याय के कारण भी बहुत बड़ा नुकसान नहीं किया है।

देव ने जस्टिस शाह के इस मसले पर चुप्पी को लेकर कहा कि मुझे इस तथ्य के बारे में कोई संदेह नहीं है कि न्यायमूर्ति मोहित शाह ने अपने आप को और न्यायपालिका संस्था को न्याय न देकर बहुत बरा नुक्सान किया है

उन्होंने आगे कहा कि एक आदमी अमित शाह की रक्षा को लेकर पूरी न्यायिक प्रणाली पर सवाल उठ गया है,

उन्हों कहा कि न तो ही हमारी न्यायपालिका नाज़ुक है और न ही के राष्ट्र। हमारे पास एक बहुत अच्छी न्यायपालिका है

हां, हमारे पास एडीएम जबलपुर जैसे विसंगतियों हैं तब भी अन्यथा हमारी न्यायपालिका हमेशा कानून के शासन की रक्षा के लिए और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए आगे आये हैं।