विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधियों की संख्या में आ रही लगातार गिरावट की एक वजह है हदबंदी

विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधियों की संख्या में आ रही लगातार गिरावट की एक वजह  हदबंदी है

कांग्रेस के नगर पार्षद शाहनवाज अब्दुल रहमान शेख ने कहा कि समाज और सरकार में मुस्लिम के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार और नौकरशाह द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि राज्य में 25 सीटें हैं, जिसमें मुसलमानों की 40 से 50 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी है। 68 सीटों में, मुस्लिम वोट हिस्सेदारी 10 से 12 फीसदी है। फिर भी उनकी संख्या में गिरावट आई है

इस तर्क के साथ असहमति जताते हुए ,  सरेशवाला ने कहा कि ये नंबर एक अंतर नहीं बनाते हैं। एक उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 2012-17 , यूपी विधानसभा में इस समुदाय से 73 विधायक थे, लेकिन राज्य में मुसलमानों की स्थिति सबसे खराब थी। यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी समुदाय का उपयोग, दुरुपयोग या भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

इस विचार का समर्थन करते हुए बीजेपी के अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष सूफी एमके चिस्ती ने कहा, हालांकि अभी तक उनकी पार्टी में कोई मुस्लिम नहीं है लेकिन फिर भी पिछले डेढ़ दशक में मुसलमानों ने राज्य में प्रगति की है। उन्होंने दावा किया कि समुदाय की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है, इसलिए साक्षरता दर है रोजगार भी बढ़ा है।

विशेषकर, सामाजिक ध्रुवीकरण इस हद तक है कि अब कांग्रेस भी मुस्लिमों को निर्वाचन क्षेत्र में टिकट देने के लिए झिझक रही है,हालांकि कई निर्वाचन छेत्र है जहां मुसलमानो की आबादी बहुत है  उदाहरण के लिए कलपुर, भरूच, गोधरा, सूरत (पश्चिम और पूर्व), सोमनाथ और जामनगर इन सीटों के लिए हिंदुओं को  टिकट मिल चूका है