राष्ट्रीय एकता और भाईचारे के बढ़ावा के साथ गंगा जमनी संस्कृति को सींचना हमारा मिशन है: कामना प्रसाद

नई दिल्ली: देश की आज़ादी और भौगोलिक तौर पर बंटवारे के साथ उर्दू के चाहने वाले भी देशों में बंट गए। दूसरी ओर उर्दू का क्या हाल है यह तो वहां वाले जानें मगर भारत में उर्दू भाषा का वजूद न सिर्फ कायम है बल्कि उसकी सींचाई और गेसू संवारने के लिए ऐसी ऐसी हस्तियाँ और उनकी संस्थानें मौजूद हैं, जिन्होंने न सिर्फ उर्दू भाषा को विभिन्न तरीकों से जिंदा ही रखा है, बल्कि जनता के स्तर पर उसकी मकबूलियत में वृद्धि के साथ उसे राष्ट्रीय एकता और भाईचारे के बढ़ावा का अहम जरिया भी बनाया।

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उन्हीं अहमतरीन लोगों और शख्सियतों की मालिक कामना प्रसाद हैं, जो जश्ने बहार ट्रस्ट की संस्थापक भी हैं, इस ट्रस्ट के जरिये पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से उर्दू की सिंचाई में व्यस्त हैं।

जश्ने बहार ट्रस्ट के जरिये आयोजन दिल्ली पुब्लिक स्कूल में जश्ने बहार के शीर्षक से हर साल आयोजित किये जाने वाला मुशायरा जश्ने बहार विश्व स्तर पर मकबूलियत रखता है, जो उनकी सेवा की एक झलक है।