नजरिया: इजरायली आतंक और हमास

यहूदी राज्य ने आदतन आतंकवाद का प्रदर्शन करते हुए 18 निहत्थे फिलिस्तीनी मुसलमानों को शहीद और सैंकड़ों को घायल कर दिया है, जो अपने अधिकार यहूदी राज्य के नाजायज़ कब्जे को चैलेंज के लिए इजराइल की सीमा पर इकट्ठा हुए थे। इस घटना की जबकि कई विश्व नेताओं ने स्वतंत्र जाँच की मांग की है, लेकिन यहूदी राज्य की हटधर्मी और विश्व संस्था में इस के लिए अमेरिकी समर्थन से साफ़ है कि उसके खिलाफ कुछ नहीं होगा।

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इस से पहले जब फिलिस्तीन के जनता इजरायली बर्बरता के खिलाफ आवाज़ उठाते थे तो यहूदी राज्य ‘हमास’ और उसकी सेना विंग ‘अलकसाम’ ब्रिगेड का भय दिखाकर दुनिया को यह जताने की कोशिश करती थी कि सैंकड़ों रसायनिक हथियार और आधुनिक हथियारों से लैस इजराइल को ‘अल कसाम’ अपने आवाज़ पैदा करने वाले रोकेट से नष्ट कर सकता है।

अभी तक इजराइल का बयान यही था कि फिलिस्तीन के साथ इस लिए शांति नहीं हो सकता, क्योंकि गाजापट्टी में ‘हमास’ यहूदी राज्य को धरती से खत्म करने का इरादा रखती है। लेकिन पिछले कुछ महीने के अंदर न सिर्फ फिलिस्तीन की आंतरिक रानीतिक स्थिति में बदलाव आया है. बल्कि हमास ने राष्ट्रीय एकता के फोर्मुले के तहत गाजापट्टी का कण्ट्रोल भी फिलिस्तीनी अथोरिटी के हवाले कर दिया है।