2 घंटे की फिल्म के लिए, जब बात हो सकती है, तो मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए क्यों नहीं?

नई दिल्ली: फिल्म पद्मावती के रिलीज को लेकर सेंसर बोर्ड द्वारा हरी झण्डी दिखाने के बाद लोकसभा के सांसद और AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी काफी गुस्से में हैं। उन्होंने कहा है कि2 घंटे की एक फिल्म के लिए संगठनों के साथ बातचीत की जाती है लेकिन जब मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण और न्याय की बात आती है तो कोई बातचीत नहीं होती है।

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सेंसर बोर्ड के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया और लिखा कि 2 घंटे की एक फिल्म के लिए संगठनों के साथ बातचीत की जाती है लेकिन जब मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण और न्याय की बात आती है तो कोई बातचीत नहीं होती हैं, बल्कि क्रूर बहुमत से तैयार किया जाता है, दोषपूर्ण और बिल जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

इस मुद्दे पर ओवैसी ने सदन में सुझाव भी दिए थे, जिसे खारिज कर दिया गया और विधेयक को पारित कर दिया गया। राज्यसभा में इस पर बहस होनी है।

बता दें कि विवाहित मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) से निजात दिलाने के लिए लोकसभा ने गुरुवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक- 2017 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन ने विपक्षी सदस्यों की ओर से लाये गये कुछ संशोधनों को मत विभाजन से तथा कुछ को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया, क्योंकि लोकसभा में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी बहुमत में है।