बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वालों को ओवैसी ने दिया करारा जवाब!

भारत के राज्य तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से सांसद और लोक सभा के प्रत्याशी असदुद्दीन ओवैसी ने हिन्दु कट्टरपंथी संगठन शिवसेना की ओर से बुर्क़े पर प्रतिबंध की मांग को मूल मानवाधिकार का हनन क़रार दिया है।

ज्ञात रहे कि शिवसेना ने मराठी भाषा में निकलने वाले समाचार पत्र “सामना” के संपादकीय में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की थी कि वह पूरे भारत में बुर्क़े पर प्रतिबंध लगाएं। संपादकीय में कहा गया था कि भारत सरकार को राष्ट्रीय हित के दृष्टिगत श्रीलंका की भांति यहां भी बुर्क़े पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

संपादकीय में लिखा गया था कि यदि रावण की लंका में बुर्क़े पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है तो राम की धरती पर इस पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जा सकता? शिवसेना की मांग के बाद आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया में इससे मूलभूत अधिकारों का हनन क़रार दिया।

एएनआई के अनुसार ओवैसी ने शिवसेना की मांग को अचार संहिता का उल्लंघन क़रार देते हुए चुनाव आयोग को नोटिस जारी करने की मांग की है। असदुद्दीन ओवैसी ने पत्रकार सम्मेलन के दौरान कहा कि भारतीय सुप्रिम कोर्ट ने भारत के संविधान के आर्टिकल 377 को स्पष्ट करते हुए कहा था कि वस्त्र की पसंद हर किसी का मूल अधिकार है।

उनका कहना था कि सुप्रिम कोर्ट और भारतीय संविधान के अनुसार भारत के हर नागरिक को हक़ प्राप्त है कि वह अपनी पसंद का कपड़ा पहने और हर किसी की मर्ज़ी है कि वह बुर्क़ा पहने या घूंघट करे या वह जीन्स पहने।

उनका कहना था कि शिवसेना चुनाव में अपनी पराजय देख रही है इसीलिए वह षड्यंत्र पर उतर आई है और बुर्क़े पर प्रतिबंध की मांग पर लिखे गये आर्टिकल पर इलेक्शन कमीशन को नोटिस लेना चाहिए।

उन्होंने भारत में होने वाले कुछ आतंकी हमलों का उदाहरण दिया जिनमें लिप्त आरोपियों को कुर्ता और हिन्दुधर्म के अनुयाइयों की ओर से पहने जाने वाले वस्त्र पहन रखे थे।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आज बुर्क़े पर प्रतिबंध की मांग की जा रही है, कल घूंघट पर प्रतिबंध की मांग की जाएगी और फिर किसी और प्रकार के कपड़े पहनने पर आपत्ति जताई जाएगी।