रोहिंग्या मुस्लिम महिला की ज़ुबानी: पति की लाश मजबूरन छोड़, बेटी को लेकर भागना पड़ा…

म्यांमार: रखाइन प्रांत में रोहिंग्या लोगों पर सरकार और सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचार के बाद लाखों की तादाद में लोग वहां से पलायन कर बांग्लादेश पहुंच रहे हैं।

हजारों परिवार इस वक़्त बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर भूखे-प्यासे और अपने परिवारों से बिछड़े उनके मिलने की आस लगाए बैठे हैं।

ऐसी ही एक रोहिग्या मुस्लिम महिला है जिसे हिंसा के दौरान गांव में ही अपने पति के शव को छोड़कर वहां से भागना पड़ा।

इस महिला का नाम है नसीमा खातून है। 60 साल की नसीमा रखाइन प्रांत की ही रहने वाली है। शहर में हिंसा फैलने के बाद खातून एक हफ्ते पहले ही परिवार समेत वहां से भाग निकली थी।

अलजजीरा के मुताबिक, नसीमा ने बताया कि मेरे पति मछुयारे थे और हमारी तीन बेटियां हैं। हम एक शांत जिंदगी जी रहे थे।

सेना का दबाब होने के बावजूद हमें भोजन या फिर रहने की किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा था।”

लेकिन जान सेना ने हमारे गांव में हमला कर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया, तब वहां से लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। मैं भी भागकर जंगल में आकर छिप गई लेकिन तभी किसी ने मुझे बताया कि मेरे पति को गोली मार दी गई है।

हमें बताया गया कि सेना ने हमारे गाँव पर हमला कर कब्जा जमा लिया था। ये खबर सुनकर मैं अपने पति के पास नहीं जा पाई। मुझे पति के शव को मजबूरन वहीं पर छोड़ कर अपनी बेटियों और पड़ोसियों के साथ बांग्लादेश भागना पड़ा।”

हम अपने साथ कुछ भी नहीं ला सके, खाने-पीने का सामान हमने रास्ते से ही जुटाया। हम लोग काफी दिनों से भूखे थे। एक दिन हम एक दुकान के पास से गुजर रहे थे जिसे हमारे लोगों ने लूट लिया तो हमें वहां कुछ खाने का सामान दिखा, जिसे हमने ले लिया। 10 दिनों के सफर के बाद हमने वास्तव में कुछ खाया था।”