इमरान खान को पाकिस्तान का पीएम बने हुए अभी कुछ ही समय बीता है। इतने कम समय में ही उनके सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई है। राजनीतिक जानकारों ने उनकी सरकार बनने से पहले ही चेताया था कि पीएम बनने के बाद इमरान की डगर आसान नहीं होगी। ताजा मामला कट्टरपंथियों की रैली का है। एक इस्लामी समूह तहरीक-ए-लबैक ने डच सांसद गीर्ट विल्डर्स के खिलाफ रैली निकाली है।
दरअसल विल्डर्स नवंबर में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने की एक प्रतियोगिता कराने की योजना बना रहे हैं। इस्लामी संगठन उनके इस कदम का विरोध कर रहे हैं।
पूरे पाकिस्तान में मुसलमान इस प्रतियोगिता की आलोचना कर रहे हैं। इसे इस्लाम को बदनाम करने की साजिश बताया जा रहा है। उनका मानना है कि अल्लाह या पैगंबर मोहम्मद का भौतिक चित्रण, भले ही सकारात्मक रूप में क्यों न किया गया हो, उनके मजहब में वर्जित है।
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जिस संगठन ने रैली निकाली है, उसने हाल में ही हुए आम चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था। खास बात यह है कि इस संगठन ने इमरान का समर्थन भी किया था। ऐसे में कट्टरपंथियों से निपटना इमरान के सामने बड़ी चुनौती के रूप में है। जानकार इस मुद्दे को नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए पहले इम्तिहान के तौर पर देख रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार- खान ने इस इस कार्टून प्रतियोगिता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन मांगा था। बता दें, रैली निकालने वाला तहरीक-ए-लबैक वही संगठन है, जिसने 2017 में एक संवैधानिक विधेयक में पैगंबर मोहम्मद का संदर्भ दिए जाने पर इस्लामाबाद में रैली निकाली थी। इससे आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया था।
बता दें, हाल ही में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी इमरान खान के डॉग्स को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने भी इमरान से पूछा था कि क्या उन्हें पता है कि इस्लाम में डॉग्स को अपवित्र माना गया है।