श्रीनगर: घाटी में कश्मीरी अलगाववादियों और पत्थरबाजों पर भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा पैलेट गन इस्तेमाल किया जाता है। काफी विवाद के बाद इससे बचने के लिए सरकार ने नया विकल्प ढूंढ निकाला है।
पैलेट गन के जगह सरकार ने अब पैलेट गन की जगह प्लास्टिक बुलेट्स का इस्तेमाल करने का फैसला किया है।
इन प्लास्टिक बुलेट्स को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने तैयार किया और पुणे ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ने इसकी मैन्युफैक्चरिंग की है।
ये पैलेट गन्स पर डिपेंडेंसी को कम करेंगी और उनके मुकाबले कम घातक भी हैं। सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल राजीव राय भटनागर ने इस दौरान बताया कि प्लास्टिक की इन बुलेट का अभी ट्रायल नहीं हुआ है।
सीआरपीएफ ने इसके लिए पहले चरण में करीब 21 हजार गोलियां कश्मीर भेजी हैं ताकि उसका सीआरपीएफ जवानों के बीच वितरण किया जा सके।
एके श्रृंखला की दोनों राइफलों 47 और 56 का सीआरपीएफ द्वारा कश्मीर घाटी में इस्तेमाल किया जा रहा है। प्लास्टिक की इन गोलियों को एके सीरीज की राइफल में फिट किया जा सकता है।
जैसे ही पथराव शुरू होता है, जवानों को केवल बुलेट्स बदलने की जरूरत है। इससे भीड़ कंट्रोल के लिए पैलेट गनों और अन्य गैर घातक हथियारों पर हमारी निर्भरता कम होगी।