पाॅपुलर फ्रंट ने तूतीकोरिन जिले में पुलिस फायरिंग की न्यायिक जाँच की मांग की

पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के महासचिव मुहम्मद अली जिन्ना ने तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में स्टरलाइट काॅपर यूनिट को बंद करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा गोलियाँ चलाए जाने की निंदा की है और साथ ही इस मामले की न्यायिक जाँच की मांग भी की है, जिसमें लगभग 11 लोगों की मौत हो गई। उनका आरोप है कि यह फायरिंग सुनियोजित तरीके से की गई, जिसमें प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे लोगों को निशाना बनाया गया।

पर्यावरण प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या पर जनता की सही और जायज़ चिंता को मानने और इस समस्या के हल के लिए ज़रूरी कदम उठाने के बजाय, क्रूर तरीके से बिना कोई चेतावनी दिये लोगों की हत्या करके तमिलनाडु सरकार ने अपने जनविरोधी रूझान का खुला प्रदर्शन किया है। उन्होंने मांग की कि स्टरलाइट काॅपर की तूतीकोरिन यूनिट को स्थायी रूप से बंद किया जाए, क्योंकि यह जनता और पर्यावरण दोनों के लिए खतरे का कारण है।


मुहम्मद अली जिन्ना ने देश में दलित व मुस्लिम विरोधी अत्याचार की हालिया घटनाओं को देखते हुए केंद्र व राज्य सरकारों की आपराधिक खामोशी और लापरवाही की भी निंदा की है। देश के विभिन्न हिस्सों विशेषकर बीजेपी शासित राज्यों में मुसलमानों और दलितों के खिलाफ खौफनाक भीड़तंत्र की हिंसा और हत्या का एक नया दौर चल पड़ा है।

गौरक्षा के नाम पर हालिया हमलों की दर्जनों घटनाओं में एक घटना 17 मई की है, जिसमें मध्य प्रदेश के सतना में एक भीड़ ने सिर्फ गौहत्या के शक’ में दो लोगों को बेदर्दी से पीटा, जिसके कारण एक की मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। हत्यारों पर कार्यवाही से पहले मध्य प्रदेश पुलिस ने पीड़ितों के खिलाफ ही गौहत्या का मामला दर्ज किया।

दूसरी घटना में 21 मई को गुजरात के राजकोट जिले में कचरा साफ करने से इनकार करने पर एक दलित जोड़े को बड़ी बेरहमी से हिंसा का शिकार बनाया गया। भीड़ ने पति को एक खम्बे से बांधकर लोहे की राॅड से इतना मारा कि उसकी मौत हो गई। इसी तरह पिछले महीने भारत बंद में हिंस्सा लेने की वजह से मेरठ में एक दलित युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

मुहम्मद अली जिन्ना ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय अकेडमिक कौंसिल द्वारा स्वीकृत ‘इस्लामी आतंकवाद’ कोर्स की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया है। इस विवादित विषय पर जेएनयू में शुरू किया जाने वाला कोर्स शिक्षा को साम्प्रदायिकता के रंग में रंगने की मोदी सरकार की योजना का हिस्सा है। जब से मौजूदा सरकार सत्ता में आई है, इसने देश की शिक्षा प्रणाली में हस्तक्षेप, इतिहास को कथाओं और कहानियों से बदलने और अंधविश्वास को विज्ञान के साथ मिलाने का काम शुरू कर दिया है।