अहमदाबाद: जमीअत उलेमा ए हिंद गुजरात इकाई की ओर से देश में धर्म के आधार पर बढ़ रहे अंतराल को पाटने के उद्देश्य से राष्ट्रीय एकता सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ कर राष्ट्रीय एकता जिंदाबाद के नारे को बुलंद करते हुए नज़र आये.
न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 के मुताबिक सम्मेलन में दिल्ली से आये आचार्य प्रमोद कृष्णन ने कहा कि आज जिस तरह से भारत का माहोल खराब है, ऐसे में राष्ट्रीय एकता की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक समय में महात्मा गांधी ने देश को जोड़ने का काम किया था, वही काम आज मौलाना अरशद मदनी कर रहे हैं। इसलिए मैं उन्हें आज का गांधी मानता हूँ। साथ ही उन्होंने आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा कि अंग्रेजों की मुखबिरी करने वाले लोग आज भारत के मुसलमानों से सर्टिफिकेट मांगते हैं।
आचार्य प्रमोद कृष्णन यहीं नहीं रुके, उन्होंने खुलकर तीन तलाक पर अपनी राय रखते हुए कहा कि जिन लोगों की अपनी ही पत्नी साथ नहीं है, वह आज मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलवाने की बात कर रहे हैं। यह अपने आप में एक मजाक है। आचार्य प्रमोद कृष्णन ने हिंदू राष्ट्र और गौरक्षा पर अपनी राय रखते हुए कहा कि हिंदू धर्म किसी निर्दोष की जान लेने का आदेश नहीं देता।
राष्ट्रीय एकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने जमीअत उलेमा ए हिंद के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत को स्वतंत्र कराने के लिए जमीअत उलेमा ए हिंद ने अविस्मरणीय भूमिका निभाई। कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व में आने से 80 साल पहले से जमीअत उलेमा ए हिंद काम कर रही है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि भारत को आज कुछ लोग हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं यह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2002 गुजरात दंगों में मोदी की पूरी कैबिनेट लगी हुई थी।
अहमदाबाद के साबरमती रिवर फरंट पर आयोजित सम्मेलन में सभी धर्म के ज़िम्मेदार राष्ट्रीय एकता का संदेश देते हुए दिखे। सम्मेलन के अंत में देश की शांति के लिए प्रार्थना की गई. साथ ही साथ सभी धर्मों से जुड़े लोगों ने यह प्रतिज्ञा भी किया कि अब इस तरह के कार्यक्रम लगातार आयोजित की जाती रहेंगी, ताकि लोग एक दूसरे से मिलते रहें और दिलों के फासलों को दूर करते रहें।अहमदाबाद के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा था कि सभी धर्मों के अनुयायी एक साथ एक मंच पर बैठे दिखे। कहीं से ‘जय सरदार’, ‘जय पाटीदार’ के नारे की आवाज़ आई, तो कहीं से दलित-मुस्लिम एकता के नारे बुलंद किए गए।