लोग बिहार को अब भी ‘लालू’ के ही नाम से ही जानते हैं न कि ‘नीतीश’ के

पटना: बिहार की राजनीति का जब कभी भी जिक्र होता है तमाम बड़े नामों के साथ-साथ लालू प्रसाद की चर्चा भी स्वभाविक तौर पर होती है। लेकिन क्या लालू प्रसाद सियासत के अलावा भी कुछ मायने रखते हैं खासकर जब बिहार की अस्मिता की बात हो, पहचान की बात हो? ये सवाल अचानक से क्यों उठ खड़ा हुआ है, आप जरुर सोच रहे होंगे।

असल में सवाल राजनीतिक नहीं है और ना ही लालू की पार्टी ने उनको लेकर ऐसा कोई बयान दिया है। इस पर चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि साइकिल से भारत भ्रमण का संकल्प लेकर निकली पटना की बहादुर बेटी उर्मिला कुमारी ने ऐसा ही कुछ कहा है जिस पर एक बारगी चर्चा होनी शुरू हो गई।

उर्मिला कुमारी ने भारत भ्रमण के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि जहां भी गई लोगों ने पूछा कि कहां से आई हो? जब मैंने कहा कि बिहार से, तो तमाम लोगों ने तपाक से कहा लालू के बिहार से।

जब उर्मिला से जब ये पूछा गया कि लोग राज्य के बाहर नीतीश को ज्यादा जानते हैं या फिर लालू को तो उन्होंने बताया लालू को।

अब सवाल ये है कि क्या वास्तव में आज भी बिहार से बाहर लोग बिहार की चर्चा में लालू ही शामिल होते हैं। क्या लालू को ही बिहार की सियासत का बड़ा सूरमा मानते हैं। क्या लालू बिहार की वो पहचान बन गए हैं जिसे नीतीश अबतक मात नहीं दे पा रहे हैं और अगर ऐसा है तो इसकी वजह क्या है?