पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया की बैठक में एक प्रस्ताव में कहा गया है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव और कुछ दूसरे राज्यों में हुए हालिया उपचुनावों के परिणाम में देश की सेक्युलर पार्टियों के लिए बहुत बड़ा सबक़ है। यह परिणाम उन्हें यह संदेश भी देते हैं कि बीजेपी के मुक़ाबले में विकल्प के रूप में उनका वजूद उनकी एकता और विशाल गठबंधन के निर्माण पर निर्भर करता है।
कर्नाटक में जनता की भलाई के लिए अपने सारे मतभेदों को एक तरफ रखकर कांग्रेस और जेडीएस का फासीवादी ताकतों के खिलाफ एक रहने की ख़्वाहिश का इज़हार एक मिसाली क़दम है। अगर उन्होंने चुनाव से पहले ऐसी एकता का प्रदर्शन किया होता तो उन्होंने राज्य के अंदर बीजेपी को अच्छा सबक़ सिखाया होता।
वहीं यूपी के उपचुनावों के परिणाम, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘अधिकतम कट्टरता, न्यूनतम शासन’ के तरीके के प्रति जनता की बेचैनी और नाराज़गी का पता देते हैं। केराना में विपक्ष के गठबंधन के हाथों बीजेपी को मिली हार बीजेपी की साम्प्रदायिक राजनीति के लिए खुली चेतावनी है, जिस राजनीति ने बीते दिनों पश्चिमी यूपी में जाटों को मुसलमानों के खिलाफ राजनीतिक तौर पर खड़ा कर दिया था।
2014 के बाद से अधिकतर लोकसभा उपचुनावों में जनता ने बीजेपी के खिलाफ वोटिंग की है, जो इस जनविरोधी मोदी सरकार के खिलाफ देश के मौजूदा मिज़ाज का पता देता है।
बैठक में दूसरे प्रस्ताव में पैदावार में मुनाफे की कीमत, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने, किसानों की कर्ज़ माफी सहित अन्य कई मांगों को लेकर आॅल इंडिया किसान महासंघ द्वारा देश भर में चलाए जा रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया है।
एक अन्य प्रस्ताव में बैठक ने पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया को बदनाम करने के खिलाफ संगठन द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर रिपब्लिक टीवी, टाईम्स नाउ, इंडिया टुडे और आज तक जैसे न्यूज़ चैनलों को न्यूज़ ब्राॅडकाॅस्टिंग स्टेंडर्ड्स अथाॅरिटी की ओर से मिली वार्निंग का स्वागत किया है।
एनबीएसए ने दोनों ही चैनलों को यूट्यूब और अपनी वेबसाइट से पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया को बदनाम करने वाली सामग्री को हटाने का आदेश दिया है। यह आदेश इन टीवी चैनलों द्वारा भारत में शुरू की गई प्रोपगंडा की बुनियाद पर अनैतिक पत्रकारिता के मुंह पर एक जो़रदार तमांचा है।