सलमान नदवी का बयान मुसलमानों के जज्बात से खेलने और धोखा देने के बराबर है- आला हजरत दरगाह

बरेली। सलमान नदवी के उस बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि बाबरी मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है पर बरेलवी उलेमाओं ने कड़ा एतराज जताया है। इस बयान को लेकर दरगाह आला हजरत स्थित जमात रज़ा मुस्तफा के कार्यालय में बैठक का आयोजन किया गया।

बैठक की अध्यक्षता जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान कादरी “सलमान मियां” ने की। बैठक में उलेमाओं ने सलमान नदवी के बयान की कड़ी निंदा की और कहा कि जब बाबरी मस्जिद केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है तो कोर्ट के बाहर इस मसले को सुलझाने के लिए मीटिंग करना बे मतलब है और ये मुसलमानों को धोखा देने के बराबर है।

बैठक में मौलना शाकिर कादरी अजहरी ने कहा कि इस्लाम के चारों मजहब हनफ़ी, शाफी, मालिकी और हंबली में बिल्कुल भी इजाजत नहीं है कि मस्जिद को बेचा या शिफ्ट किया जाए।

सलमान नदवी ने मजहबे हंबली के हवाले से जो मस्जिद को शिफ्ट करने की बात कही है उन्होंने उसे समझने में गलती की है। श्री श्री के साथ मीडिया के सामने बैठकर मस्जिद को शिफ्ट करने और उसकी जगह मन्दिर निर्माण करने की बात से मुसलमानों को ठेस पहुंची है।

जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां ने कहा कि बाबरी मस्जिद कयामत तक मस्जिद ही रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सलमान नदवी के इस बयान की हम निंदा करते हैं।

उन्होंने कहा कि उनका ये बयान सस्ती शोहरत और अपने फायदे के लिए है और मुसलमान उनके बयान से आहत हैं और ये मुसलमानों को तोड़ने की कोशिश है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुसलमानों को भारत की न्याय पालिका पर पूरा भरोसा है और बाबरी मस्जिद का फैसला उच्च्तम न्यायालय में विचाराधीन और उन्हें पूरी उम्मीद है कि फैसला मस्जिद के हक में होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुसलमानों के दीनी मसाइल और जज्बातों से खिलवाड़ करने का हक किसी को भी नहीं है।

बैठक में अजीमुद्दीन अजहरी ने कहा कि जब किसी जगह मस्जिद तामीर हो जाती है तो वो जगह कयामत तक मस्जिद रहती है।मस्जिद दर या दीवार का नाम नहीं बल्कि उस जगह को कहते हैं जो अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ की जाती है और एक बार कोई जगह मस्जिद के लिए वक्फ हो जाती है तो उसे किसी भी कीमत पर शिफ्ट नहीं किया जा सकता।

इस अवसर मौलना जाहिद, मौलना शहजाद, मौलना शरफुद्दीन, काजिम रज़ा, मोइन खान नदीम सुभानी समेत बड़ी तादात में उलेमाओं ने शिरकत की।