लखनऊ: अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवम व्यवस्था ) दलजीत चौधरी ने कहा है कि लखनऊ मुठभेड़ में मारे गए सैफुल्लाह और गिरफ्तार अन्य संदिग्धों का आईएस से कोई सीधा लिंक नहीं है।
उन्होंने साफ़ किया कि इनका इस्लामिक स्टेट (आईएस) से जुड़े होने का कोई सबूत नहीं मिला है। ये इंटरनेट, सोशल मीडिया और वेबसाइट के जरिए आईएस से प्रभावित हुए थे और ‘खुरासान ग्रुप’ बनाकर खुद अपनी पहचान बनाना चाहते थे।
इससे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि बम ब्लास्ट की तस्वीरें आतंकियों ने सीरिया भेजी थी। इससे संबंधित सवाल पर दलजीत चौधरी ने कहा, ‘हो सकता है कि मध्य प्रदेश पुलिस के पास ऐसी कोई जानकारी हो, लेकिन हमें ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला है।
We have no such evidence yet of any #ISIS link: Daljit Chaudhary,ADG on #LucknowTerrorOp pic.twitter.com/kMHQuifJIr
— ANI UP (@ANINewsUP) March 8, 2017
बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनकाउंटर और गिरफ्तार किए गए संदिग्ध आतंकियों से जुड़ी जानकारी देते हुए दलजीत चौधरी ने बताया कि 4 लोग लखनऊ के ठाकुरगंज स्थित मकान में किराये पर रह रहे थे।
ये आपस में मिलकर योजना बनाते थे। चौधरी ने बताया, ‘ट्रेन में आईईडी ब्लास्ट भी इसी क्रम में अंजाम दिया गया। घटना के बाद वहां तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। मुज्जफर, दानिश अख्तर, सैयद मीर ने जो सूचनाएं दी उसके आधार पर इटावा, औरैया, कानपुर नगर और लखनऊ में छापे मारे गए।
एडीजी के मुताबिक इस संगठन से जुड़े कुछ और लोगों की गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है। एटीएस के लखनऊ स्थित थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
आतंकियों के पास 8 पिस्टल, 4 चाकू, विस्फोटक सामग्री, पासपोर्ट, बैट्री, मोटरसाइकिल, 6 मोबाइल फोन, 4 सिमकार्ड, सोना, रियाद, चेकबुक, आधार कार्ड, नक्शा, शैक्षणिक प्रमाण पत्र आदि चीजें बरामद की गई हैं। कानपुर और इटावा से मिले लैपटॉप से पता चला कि इंटरनेट के जरिए ही आरोपियों ने बम बनाना सीखा।