ढाका। बांग्लादेश यात्रा के दौरान पोप फ्रांसिस जब वहां रोहिंग्या शरणार्थियों से मिले और उनकी व्यथा सुनी तो रो पड़े। उन्होंने कहा कि रोहिंग्या लोगों से मुलाकात म्यामां और बांग्लादेश की उनकी यात्रा के लिए एक शर्त थी।
पोप की रोहिंग्या लोगों से मुलाकात म्यामां में हिंसा के कारण भाग रहे मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ एकजुटता जताने का सूचक थी और फ्रांसिस ने रोम लौटते समय विमान में पत्रकारों से कहा कि शरणार्थी भी रो रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानता था कि मैं रोहिंग्या लोगों से मुलाकात करुंगा लेकिन यह नहीं पता था कि कहां और कैसे।मेरे लिए यह यात्रा की एक शर्त थी। पोप ने म्यामां की अपनी यात्रा के दौरान सार्वजनिक तौर पर रोहिंग्या का कोई प्रत्यक्ष जिक्र नहीं किया।
बांग्लादेश में उन्होंने एक शरणार्थी शिविर में रोहिंग्या लोगों के एक समूह से मुलाकात की और उन्हें संबोधित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश ने उन लोगों के लिए काफी कुछ किया है, यह स्वागत करने का एक उदाहरण है।’’ पोप ने कहा, ‘‘मैं रोया, मैंने अपने आंसू छिपाने की कोशिश की।