पाॅपुलर फ्रंट ने कहा : देश में अघोषित आपातकाल थोपा जा रहा है

पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया की बैठक ने पुणे पुलिस द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में मानवाधिकार के जाने-माने कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों के घरों पर सिलसिलेवार छापेमारी और गिरफ्तारियों की कड़ी निंदा की है।

बैठक ने कहा गया कि यह एक और उदाहरण है कि केंद्र व राज्य सरकारें पुलिस और जांच एजेंसियों का ग़लत इस्तेमाल करके देश की जनता पर अघोषित आपातकाल थोप रही हैं।

इस कार्यवाही का निशाना उन वकीलों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बनाया जा रहा है जिन्हें जनता समाज के सबसे ज़्यादा पीड़ित वर्गों के बीच उनकी मानवाधिकार गतिविधियों और उनके शैक्षिक योगदान की वजह से बहुत ज़्यादा प्यार और सम्मान देती है।

उनका किसी ऐसी बात से दूर का भी कोई संबंध नहीं पाया गया है जो संविधान के खि़लाफ जाती हो। जिस तरह से पुलिस ने गिरफ्तारियों और छापेमारियों को अंजाम दिया है वह निःसंदेह सत्ता के दुरूपयोग का पता देता है।

कुछ लोगों से कथित रूप से उनके छात्रों और रिश्तेदारों के सामने बेहद अपमानजनक तरीके से पूछताछ की गई। उन पर लगाए गए आरोपों को देखकर ऐसा लगता है कि उन्हें बहुत दूर से खींचतान कर लाया गया है, जिन्हें जनता पहली ही नज़र में नकार देगी।

यह बात दिन के उजाले की तरह साफ है कि विरोधियों को भयभीत और खामोश करने के लिए सत्ता का इस तरह दुरूपयोग बहुत ही ख़तरनाक है, जो इमर्जेंसी के कठोर दिनों की याद ताज़ा करता है।

पाॅपुलर फ्रंट की केंद्रीय सचिवालय की बैठक सुप्रीम कोर्ट से सिस्टम की इस गिरावट को रोकने के लिए अपनी ताक़त का इस्तेमाल करने का आग्रह करती है। बैठक विपक्षी दलों से भी सत्ता के केंद्रों के सामने बुलंद आवाज़ से सच बात कहने की अपील करती है।

चेयरमैन ई. अबूबकर ने बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें एम. मुहम्मद अली जिन्ना, ई.एम. अब्दुर्रहमान, के.एम. शरीफ, ओ.एम.ए. सलाम और अब्दुल वाहिद सेठ उपस्थित रहे।