नई दिल्ली: भारत के पूर्व राष्ट्रपति व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के मंच पर पहुँचने से पूरे देश में भूचाल आ गया। लेकिन आरएसएस के मंच पर पहुंचकर प्रणब मुखर्जी ने जो संघ की खिंचाई की है, वो न तो कांग्रेस के समझ में आई न संघ समर्थकों के। इसे कौन सा दांव कहते हैं, ये नहीं पता। लेकिन वो प्वाइंट्स देख लीजिये जहां प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस की इज्जत पर प्रहार किया।
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1.
मंच पर पहुंच प्रणब मुखर्जी ने सबसे पहले कहा- हमें 1947 में आजादी मिली। सरदार पटेल ने सब रियासतों को मिलाकर एक देश बनाया। 1950 में भारत में संविधान लागू हुआ। जिससे पूरे देश के सभी लोगों को स्वतंत्रता और समानता का अधिकार दिया।
व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी में पढ़ी ज्यादातर आबादी मानती है कि भारत 16 मई 2014 को आजाद हुआ। जब मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने। उससे पहले के पहले गोरे अंग्रेजों ने लूटा फिर काले अंग्रेजों नें।
2.
बातों ही बातों में एक जगह उन्होंने कहा- कुछ सच्चाई हैं, जो मैंने पिछले 50 सालों में जानी हैं। ये तथ्य भी पूरी तरह से गलत है। पिछले 70 साल में यहां कुछ हुआ ही नहीं तो ये कैसे जान सकते हैं? जो भी उन्होंने जाना है वो सिर्फ 4 सालों में जाना। उनका ये वक्तव्य सीधे संघ की विचारधारा पर चोट करने वाला है।
3. इन सब के बीच सबसे बड़ी बात ये रही कि मंच पर सभी लोगों ने संघ प्रणाम किया। लेकिन प्रणब ने नहीं किया। न ही संघ की एंथेम गाई। मोहन भागवत जब भाषण दे रहे थे तो प्रणब मुखर्जी कभी सिर खुजा रहे थे तो कभी कुछ पढ़ने की एक्टिंग कर रहे थे। वो पूरे टाइम ये दिखाते रहे कि मोहन भागवत की बातों पर ध्यान देने नहीं आए हैं यहां।
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