पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में बढ़ रही ध्रुवीकरण की राजनीति पर निशाना साधते हुए कहा कि देश विभाजन की ओर बढ़ रहा है।
बंगाली अखबार एबेल से बातचीत के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, “ऐसा लगता है कि देश बाल्कनायज़ेशन (विखंडन, एक क्षेत्र या राज्य का विभाजन छोटी इकाइयों में जो अक्सर शत्रुतापूर्ण और एक दूसरे के साथ असंगत हैं) की ओर बढ़ रहा है। ऐसी राजनीति का क्या फायदा जिससे देश खुद ही विभाजित हो जाए”।
13 वें राष्ट्रपति ने कहा, “उनके लिए यह नामुमकिन था कि वह पीछे बैठकर देश को ध्रुवीकरण का शिकार होते हुए देखें”।
मुखर्जी का मानना है कि विभाजन की राजनीति लोगों को भ्रमित करने की एक चाल है। जिससे लोगों का ध्यान आर्थिक विकास में मंदी और नौकरियों के सृजन में नाकामी जैसे गंभीर मुद्दों से भटकाया जा सके।
जब उनसे पूछा गया कि वह मौजूदा हालात में क्या कर सकते हैं, तो मुखर्जी ने कहा, “आजकल मेरे दिमाग में यही बात चल रही है।”
सर्वोच्च संवैधानिक दफ़्तर छोड़ने के बाद भी ऐसा लगता है कि मुखर्जी अपनी राय और चिंताओं को जारी रखेंगे।
14 अक्टूबर को पूर्व राष्ट्रपति को सर सैयद अहमद खान के द्विशती जन्मोत्सव के मौके पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के छात्रों को संबोधित करना है।
नवंबर में, कोलकाता में मुखर्जी बिधान ट्रस्ट की ओर से आयोजित इंदिरा गांधी मेमोरियल पर एक लेक्चर देंगे, इसके बाद वह दिसंबर में जादवपुर विश्वविद्यालय में एक भाषण देंगे।