मुसलमानों के खिलाफ़ बोलने वाले प्रवीण तोगड़िया को विश्व हिंदू परिषद ने फिर बनाया अध्यक्ष

नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद अध्यक्ष के चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रवीण तोगड़िया से हार का सामना करना पड़ा है। संघ ने अध्यक्ष पद के लिए हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल जस्टिस कोगजे का नाम आगे बढ़ाया था लेकिन तोगड़िया के समर्थकों के आगे संघ की पसंद परवान नहीं चढ़ पाई।

मजबूरी में संघ को विहिप के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष पद पर पुरानी जोड़ी को ही बनाए रखना पड़ा है। बताया जा रहा है कि संघ के सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। वरना चुनाव कराने की नौबत आ गई थी।

ओडिशा के भुवनेश्वर में विहिप की तीन दिवसीय केंद्रीय प्रन्यासी मंडल एवं प्रबंध समिति अधिवेशन की बैठक में प्रवीण तोगड़िया को पदमुक्त करने की कवायद की गई थी।

संघ प्रवीण तोगड़िया को पदमुक्त कर जस्टिस कोगजे को अध्यक्ष बनाना चाहता था लेकिन तोगड़िया के समर्थकों के हंगामे के कारण संघ का दांव नहीं चल पाया।

संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार संघ की तरह विहिप में भी हर तीन साल बाद अध्यक्ष पद का चुनाव होता है। उस कवायद के तहत ही इस बार अधिवेशन में विहिप अध्यक्ष का चुनाव होना था।

जब तक अशोक सिंघल विहिप के कर्ता-धर्ता रहे तब तक उन्हीं की राय मान्य होती थी। मगर उनके बाद विहिप की व्यवस्था भी संघ के अधीन हो गई जिसमें चुनाव की नौबत आ गई।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी ट्यूनिंग अच्छी नहीं है। 2014 में बीजेपी के लिए माहौल तैयार करने में अहम भूमिका निभाने के बाद उन्होंने अपनी किताब सैफरान रिफ्लेक्शन: फेसेज ऐंड मास्क में बीजेपी और पीएम मोदी पर सवाल उठाए थे।

वे कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से मोदी सरकार के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठा चुके हैं। 1983 में सिर्फ 22 साल की उम्र में विहिप से जुड़े तोगड़िया पेशे से डॉक्टर हैं।