नई दिल्ली: एक बैठक में तीन तलाक दिए जाने के खिलाफ लोकसभा में पास किये गये बिल को राज्यसभा में रोकने के लिए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने अब खुद मुस्लिम महिलाओं को मैदान में उतरा है, जबकि बड़ी कमियाबी के साथ पुरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन अब यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या मुस्लिम महिलाओं का मैदान में उतरकर नारेबाजी करना और प्रदर्शन में शामिल होना शरियत के मुताबिक है?
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जमीअत उलेमा ए हिन्द के एक ज़िम्मेदार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कुरान मजीद की सुरह अल नूर 31 का अनुवाद कुछ यूँ लिखा है “और इमान वालियों से कह दो कि (अपने पांव जमीन पर जोर से न मारें कि उनका छुपा हुआ जेवर मालूम हो जाये और ए मुसलमानों! तुम सब अल्लाह के सामने तोबा करो ताकि तुम निजात पाओ” ।
यही नहीं बल्कि एक पोस्ट में उस खबर की कटिंग लगाई गई है कि जिसमें कुछ नकाब पहने और कुछ बेनकाब महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं और लिखा गया है कि “ अफोस हम पश्चिम के प्रोपगंडे की कॉपी कर रहे हैं और इस पर खुश हैं कि दीन इस्लाम की सुरक्षा की जा रही है” ।कुछ लोगों ने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से सवाल किया है कि क्या वास्तव में यह शरियत के मुताबिक है?तो कुछ ने इशारा दिया है कि वह बहुत जल्द दारुल उलूम देवबंद से इस संबंध में राबता करेंगे और फतवा लेंगे।