इलाहाबाद : प्राथमिक स्कूल शिक्षक सीरत फातिमा ने यूपीएससी परीक्षा पास की

इलाहाबाद। यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में इलाहाबाद की सीरत फातिमा को कामयाबी मिली है। सीरत फातिमा ने 909 उम्मीदवारों की सूची से 810 वें स्थान के साथ अपने चौथे प्रयास में 2017 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को पास किया है। हालांकि, अब वह अपनी रैंक और परीक्षा में फिर से दिखने की योजना बेहतर बनाना चाहती है।साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली फातिमा के पिता लेखपाल हैं।

लेखपाल पिता के इस सपने को पूरा करने के लिए सीरत ने बहुत संघर्ष किया। मंज़िल तक पहुंचने की राह में पैसा रुकावट न बने, इसलिए बीएड कर प्राइमरी स्कूल में टीचर बनीं और वहीं बच्चों को पढ़ाते हुए अब वह अब आईएएस अफसर बन चुकी हैं। ज़िंदगी में तमाम उतार – चढ़ाव देखने वाली सीरत को नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म `मांझी द माउंटेन मैन` से ऐसी प्रेरणा मिली कि उसके कदम कामयाबी की मंज़िल तक पहुंचने से पहले न तो रुके और न ही डिगे।

सीरत की इस कामयाबी पर पूरा परिवार खुशी से फूले नहीं समा रहा है। लेखपाल पिता की आँखों से आंसू छलक पड़ते हैं। जिन अफसरों के सामने पड़ने पर उन्हें डर लगता था, आज वही फोन कर उन्हें बधाई दे रहे हैं। हैरान कर देने वाली बात यह है कि सीरत फातिमा की पढ़ाई और ज़्यादातर तैयारी बेहद पिछड़े हुए गांव में हुई। वह बस से रोज़ाना तीस किलोमीटर दूर यूनिवर्सिटी आती थी तो साथ ही नौकरी करने के लिए प्राइमरी स्कूल तक का आठ किलोमीटर तक का सफर पैदल भी तय करना पड़ा है। तीन महीने पहले ही सीरत का निकाह भी हो चुका है।

इलाहाबाद के करेली इलाके में दो कमरों के छोटे से मकान में रहने वाली प्राइमरी स्कूल की टीचर सीरत फातिमा को इस बार सिविल सर्विसेज परीक्षा में 810वीं रैंक मिली है। सीरत को मिली यह कामयाबी इसलिए भी खासी मायने रखती हैं क्योंकि अफसर बनने का सपना उसका खुद का नहीं बल्कि पिता अब्दुल गनी का था। अपने पिता से वह बेपनाह मुहब्बत करती है, लिहाजा उनके सपने को पूरा करने के लिए उसने दिन – रात कड़ी मेहनत की। सीरत के पिता मामूली लेखपाल हैं।

1990 में शादी के बाद जब उन्हें नौकरी मिली तो अक्सर अफसरों की डांट खानी पड़ती। कई बार उन्हें बहुत बुरा लगता और यह महसूस होता कि अफसर ही इस दुनिया के असली मालिक होते हैं। दो बेटे और दो बेटियों में सबसे बड़ी सीरत जब चार साल की हुई तभी एक घटना की वजह से पिता अब्दुल गनी ने बड़ी बिटिया को आईएएस अफसर बनाने का फैसला किया और उसी मिशन में जुट गए। मामूली सी तनख्वाह में शीरत को कान्वेंट स्कूल से पढ़ाई कराई।

इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से बीएससी कराया। बाद में आर्थिक हालात बिगड़ने लगे तो सीरत ने बीएड कर प्राइमरी स्कूल में नौकरी कर ली। शाम चार बजे वह स्कूल से लौटती और थोड़ी देर आराम के बाद खुद अपनी पढ़ाई में जुट जाती। सीरत को यह कामयाबी चौथी कोशिश में मिली है। इस बार मेंस का लिखित इम्तहान होने के बाद सीरत के परिवार वालों ने उनका निकाह कर दिया।

उनके पति इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिव्यू आफिसर हैं, लेकिन स्कूल की नौकरी की वजह से वह इन दिनों पिता के घर पर ही रह रही हैं। बीच में हालात जब खराब हुए और मंज़िल दूर नजर आने लगी तो उसी बीच सीरत ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म मांझी द माउंटेन मैन देखी। उस फिल्म से उन्हें जो प्रेरणा मिली उसके बाद फिर कभी वह विचलित नहीं हुईं। हालांकि इस कामयाबी के बावजूद शीरत अपनी रैंक कम करने के लिए फिर से इम्तहान देने का मन बना रही हैं।