सियासत संवाददाता: शायद ये पहली बार हो रहा है कि पिछले बीस सालों में कांग्रेस की प्रचारक प्रियंका गाँधी इस बार अमेठी और रायबरेली में चुनावी मौसम में गायब हैं। अभी तक उनकी कोई सभा, प्रचार मीटिंग क्षेत्र में नहीं हुई हैं। आगे की उम्मीद भी नहीं हैं।
क्षेत्र के लोग भी इस बात को मानते हैं कि प्रियंका हमेशा अमेठी और रायबरेली में चुनाव में ज़रूर आई हैं लेकिन इस बार कोई उम्मीद नहीं हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कई बार दावा किया कि प्रियंका आएँगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
प्रियंका शुरू से अमेठी और रायबरेली क्षेत्र में सक्रिय रही हैं। पहले वो अपने पिता राजीव गाँधी के साथ चुनावी दौरे के समय आती थी, तब उनके साथ सोनिया गाँधी भी रहती थी। बीच में अमेठी से उनके परिवार का नाता भी टूट गया और कैप्टेन सतीश शर्मा सांसद हुए लेकिन प्रियंका आती रही। फिर सोनिया गाँधी के प्रचार में आई। फिर जब भाई राहुल गाँधी चुनाव लडे तो भी आई। स्थानीय लोग बताते हैं की एक बार चुनाव में जब सोनिया गाँधी रायबरेली से लड़ रही थी और हालात सही नहीं थे प्रियंका ने तूफानी दौरा कर के बाज़ी पलट दी। लोग भी उनसे जुडे हुए हैं। कई सामाजिक संस्थाएं भी प्रियंका के संपर्क रहती हैं।
इस बार भी प्रियंका की भूमिका प्रदेश के चुनाव में महत्वपूर्ण रही हैं लेकिन परदे के पीछे से। बताते हैं कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को अंतिम रूप देने में उनका काफी अहम् रोल रहा हैं। बीच में जब गठबंधन में दरार पड़ने लगी और दोनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतार दिए तो प्रियंका ने ही अखिलेश और डिंपल से बात की। उसके बाद ही प्रशांत किशोर लखनऊ पहुचे और गठबंधन फाइनल हुआ।
लेकिन फिर क्या हुआ कि प्रियंका अभी तक चुनाव प्रचार में नहीं उतर रही हैं। जबकि मीटिंग्स में शुरू में डिंपल और प्रियंका के साझा पोस्टर लगने शुरू हो गए हैं। बहुत जगह दोनों को महिला सशक्तिकरण का चेहरा प्रस्तुत किया जा रहा हैं। क्षेत्र में तो आज भी नारा चलता हैं- अमेठी का डंका बेटी प्रियंका।
सूत्र बताते हैं कि असल कारण सपा-कांग्रेस के गठबंधन में सीटो को लेकर मची खीचतान हैं। अमेठी और रायबरेली को कांग्रेस का दुर्ग कहा जाता हैं। हालांकि ऐसा है नहीं और कांग्रेस 2012 में यहाँ बहुत कुछ कर नहीं पायी थी। लेकिन फिर भी इन दो जगह से भावनात्मक लगाव है। अभी अमेठी और रायबरेली की पांच सीटो पर सपा और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार आमने सामने हैं। अब ऐसे में प्रियंका किसके लिए प्रचार करें।
वहीँ कांग्रेस अमेठी और रायबरेली दोनों की सभी दस सीट मांग रही थी। जबकि इस समय इन पर सात पर सपा के विधायक हैं और उनमे से भी दो कैबिनेट मंत्री हैं। ज़ाहिर है सबका टिकट काटना आसान नहीं है। आखिर में कांग्रेस ने सभी दसो पर अपने कैंडिडेट उतार दिए थे।
खुद सोचिये कैसे वो अमेठी सीट पर रानी अमिता सिंह जो कांग्रेस की उम्मीदवार के पक्ष में बोले और सपा कैंडिडेट गायत्री प्रजापति के खिलाफ।
ये पहली बार हुआ हैं कि प्रियंका नहीं आई हैं लेकिन अभी भी क्षेत्र के लोग उम्मीद लगाये हैं की वो आएँगी चाहे सिर्फ वर्कर्स की मीटिंग कर के चली जाए।