बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी सुनिश्चित करने का प्रस्ताव पेश

अमरीका के वरिष्ठ सीनेटरों ने अमरीका और संयुक्त राष्ट्र कमेटी को बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी सुनिश्चित करने को कहा है। गौरतलब है कि म्यांमार और बांग्लादेश के मध्य पिछले साल एक समझौता भी हुआ है जिसके तहत अगले दो साल में इनको स्वदेश भेजने की प्रक्रिया पूरी होगी। विदित हो कि म्यांमार 650000 मुसलमानों को देश में स्वीकार करने के लिए तैयार हो गया है। रखाइन शहर में हिंसा भड़कने के बाद से ही ये सभी बांग्लादेश भाग कर आ गए थे।

सीनेटरों ने इन्हीं रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की बात रखी है। सीनेटरों की दो टीमों के सदस्यों ने एक प्रस्ताव सीनेट में पेश किया। सीनेटर जेफ़ मर्कली ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों के साथ किये गए जुल्म दिल दहलाने देने वाले थे जो आने वाली कई नस्लों तक हमें परेशान करेंगे। डेमोक्रेटिक के सीनेटर पिछले साल नवम्बर में म्यांमार और बांग्लादेश गए प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे जिन्होंने वहां रोहिंग्या मुसलमानों से मुलाकात की और उनकी पीड़ा को जाना जो दर्दनाक थी।

हाल ही में अमरीका के एक प्रतिनिधिमंडल ने म्यांमार और बांग्लादेश का दौरा किया था. सीनेटर जेफ़ मर्कले ने कहा कि वे रेक्स टिलरसन के आकलन से सहमत हैं। उन्होंने कहा, “हमने बांग्लादेश स्थित कई कैंपों का दौरा किया. वहाँ हमने कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सरकारी अधिकारियों से बात की। हमने सीधे शरणार्थियों से भी बात की।

हमने उनकी कहानियाँ सुनीं, जिसमें उनके परिजनों और बच्चों को उनके सामने मार दिया गया। कई महिलाओं और उनकी लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया। हमें जो जानकारी मिली है, उससे यही लगता है कि उत्तरी रख़ाइन में आठ में से सात रोंहिग्या परिवार पलायन कर चुके हैं, ये जातीय नरसंहार है।

गत वर्ष म्यांमार के रख़ाइन प्रांत में सैनिक कार्रवाई के बाद से 65 लाख लाखों रोहिंग्या मुसलमान भागकर बांग्लादेश आये जहाँ वे शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और अमरीका ने इसे जातीय नरसंहार कहा है। मानवीय सहायता से जुड़े संगठनों ने बिना सुरक्षा की गारंटी दिए रोहिंग्या लोगों की जबरन वापसी को लेकर चिंता ज़ाहिर की है