भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दो दिन की नेपाल की ”धार्मिक-सांस्कृतिक” यात्रा पर जनकपुर पहुंचे लेकिन सोशल मीडिया समेत कई डिजिटल मंचों पर दो साल पहले हुई आर्थिक नाकेबंदी से पैदा हुए गुस्से ने उनका स्वागत किया।
त्रिभुवन युनिवर्सिटी के छात्रों ने भारत के प्रधानमंत्री के आगमन पर विरोधस्वरूप दो दिन का अनशन शुरू कर दिया है। यह अनशन मोदी की वापसी तक जारी रहेगा।
#BlockadeWasCrimeMrModi #BlockadeWasCrimeMrModi #ModiNotWelcome #ModiNotWelcomedInNepal #backoffmodi #ModiInNepal @narendramodi @PMOIndia @kpsharmaoli WE ARE NOT GOING TO WELCOME TO BLOODY pic.twitter.com/2XpeSr2iyW
— aawajnepal.com (@aawajnepalnews) May 9, 2018
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को लेकर ट्विटर पर भी लोग ‘ब्लॉकेड वाज़ क्राइम’, ‘मोदी नॉट वेलकम इन नेपाल’, ‘मोदी से सॉरी फ़ॉर ब्लॉकेड’ हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं.
भीम आत्रेय ने लिखा, ”छह महीने तक तेल, खाद्य सामान, दवाओं की कमी. दर्द अभी भी ताज़ा है मिस्टर मोदी.”
वही भारतीय मीडिया में यह प्रचारित किया जा रहा है कि मोदी का नेपाल में भव्य स्वागत हो रहा है जबकि सच्चाई यह है कि सितंबर 2015 में भारत ने जो आर्थिक नाकाबंदी की थी उसकी वजह से ‘मोदी गो बैक’ और ‘मोदी माफी मांगो’ के नारे और पोस्टर जगह-जगह दिखाई दे रहे हैं जिन्हें भारतीय मीडिया नहीं दिखाएगा लेकिन सोशल मीडिया और बीबीसी के जरिए लोगों तक यह जानकारी पहुंच चुकी है। त्रिभुवन विश्वविद्यालय में छात्रों का एक समूह आज सुबह से ही मोदी की यात्रा के विरोध में धरने पर बैठा है। जहां तक नाकाबंदी का सवाल है, इसके बारे में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि यह नाकाबंदी भारत ने नहीं बल्कि मधेशी जनता ने की थी जो नए संविधान में अपनी उपेक्षा से नाराज थी। इसमें कोई संदेह नहीं कि मधेश की जनता ने नए संविधान का लगभग बहिष्कार किया था और 20 सितंबर 2015 को जब संविधान जारी हो रहा था, वह संविधान के प्रति अपनी नाराजगी प्रकट कर रही थी। कुछ मधेशी नेताओं ने खुलकर यह बात कही थी कि यह संविधान उनके लिए नहीं है। इन सबके बावजूद नाकाबंदी जैसा कदम उसने नहीं उठाया था।
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