मोदी सरकार के सत्तासीन होने के बाद अल्पसंख्यकों पर लगातार होते हमलों का अब खुलकर विरोध होना शुरू हो गया है।
ख़ास बात यह है कि मुसलमानों की आए दिन होती लिंचिंग के विरोध में अब दूसरे मज़हब के लोग भी आवाज़ उठाने लगे हैं।
वहीँ, सिर्फ़ हिन्दुस्तान में ही नहीं, बल्कि देश के बाहर भी इस भीडतंत्र को रोकने में नाकामयाब मोदी सरकार की आलोचना हो रही है।
इसी सिलसिले में अब खबर है कि दो दिवसीय अमेरिकी दौरे पर गए पीएम मोदी को वहां भी विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। रिट्ज कार्लटन के बाहर सैंकड़ों सिखों ने देश भर में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया।
इस दौरान सिख समुदाय के लोग “Don’t Invest in India” के बैनर के साथ अपना विरोध जता रहे थे। रैली में मोदी प्रशासन के अत्याचारों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसके चलते भारत में रहने वाले सिख, मुस्लिम, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यकों को मारा जा रहा है।
एसएफजे के कानूनी सलाहकार, अटर्नी गुरुपतवंत सिंह पन्नुन ने कहा, “चूंकि धार्मिक स्वतंत्रता कार्य अमेरिकी मूल्यों के केंद्र में हैं, इसलिए हमने कांग्रेस के सदस्यों को मोदी शासन के तहत सिखों के उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होने के लिए कहा है।”
उन्होंने कहा, “भारत में सिखों को अपनी अलग धार्मिक पहचान और स्वनिर्धारित करने के उनके अतुलनीय अधिकारों को पुनर्स्थापित करने के लिए अभियान चलाया जाता है।”