जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में शनिवार को एक मुठभेड़ में सुरक्षा बलों की कथित कार्रवाई में आम नागरिकों की मौत हो गई। इस घटना पर दुख प्रकट करते हुये राजनीतिक दलों ने कहा है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक के नेतृत्व वाला प्रशासन लोगों की हिफाज़त करने में नाकाम रहा है।
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में एक मुठभेड़ स्थल के समीप एकत्रित हुई उग्र भीड़ को तितर बितर करने के लिए सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में सात नागरिक मारे गए। इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी भी मारे गए और सेना का एक जवान शहीद हुआ है।
How long are we going to shoulder the coffins of our youngsters? So many civilians killed today post encounter in Pulwama. No country can win a war by killing its own people. I strongly condemn these killings , and once again appeal for efforts , to stop this blood bath .
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) December 15, 2018
पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करके कहा, ‘कोई भी जांच बेकसूर लोगों की जिंदगी को वापस नहीं ला सकती। दक्षिण कश्मीर बीते छह महीने में डर के साये में जी रहा है। क्या राज्यपाल शासन से यही उम्मीद की गई थी।’ उन्होंने कहा कोई भी मुल्क अपने ही नागरिकों को मार कर लड़ाई नहीं जीत सकता।
7 dead. There is no explanation for this excessive use of force, none what so ever. This is a massacre & that’s the only way to describe it.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 15, 2018
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करके कहा, ‘छह नागरिक मारे गए और कई अन्य घायल हो गए, गंभीरू रूप से। चलिए आप इसे ऐसे देखें कि यह मुठभेड़ बहुत खराब तरह से की गई। मुठभेड़ वाली जगह पर प्रदर्शनकारियों का एकत्र होना अब मानक है अपवाद नहीं। आप बेहतर तरीके से संभालने में क्यों असमर्थ है।
अलगाववाद से मुख्यधारा में आने वाले नेता और पूर्व मंत्री सज्जाद लोन ने एक ट्वीट में कहा, ‘पुलवामा में जीवन गंवाने वाले लोगों के परिजनों के साथ मेरी संवेदनाएं।
मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह उन्हें इस दुख की घड़ी में संभलने की शक्ति दे…आशा करता हूं कि प्रशासन अपनी अड़ियल मानसिकता को त्याग देगा।