मुंबई। 85 वर्षीय संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे पर भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ के दौरान साजिश के तहत हिंसा फैलाने के लिए भीड़ को उकसाने का आरोप लगा है। उसके कमजोर दिखने से मूर्ख मत बनो। छत्रपति शिवाजी का अनुयायी संभाजी भिडे एक कट्टर हिंदुत्व कार्यकर्ता है जिस पर पुणे की हिंसा का आरोप है।
भिड़े ने प्रतिष्ठित पुणे विश्वविद्यालय से अटॉमिक साइंस में एमएससी की है। वह पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में प्रोफेसर भी रह चुके हैं। डिग्री पूरी होने के बाद उन्हें गोल्ड मेडल से नवाजा गया था। इससे पहले वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक पूर्णकालिक प्रचारक बन गए थे। वह हमेशा नंगे पैर रहते हैं और समर्थकों और प्रशंसकों के बीच उनको “गुरुजी” के रूप में जाना जाता है।
भिडे नाम विवादों के लिए नया नहीं है। साल 2008 में फिल्म जोधा-अकबर को रिलीज करने के विरोध में उनको अपने अनुयायियों के साथ गिरफ्तार किया गया था। उनके भारी संख्या में युवा फॉलोअर्स हैं। उनकी महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शिव प्रतिष्ठान नाम की संस्था है।
उल्लेखनीय है कि उनकी आभा ऐसी है कि कि प्रधानमंत्री मोदी भी उनसे प्रेरणा लेते हैं। अक्टूबर 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान जब प्रधानमंत्री मोदी ने सांगली की यात्रा की थी, तब वह विशेष रूप से संभाजी भिडे से मिले थे।प्रधान मंत्री मोदी ने कहा था कि वे गुरुजी का आशीर्वाद लेने आए हैं जो उनके जीवन के शुरुआती दिनों में प्रेरणा थे।
सांगली जिले में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री ने कहा था कि मैं खुद सांगली नहीं आया था, लेकिन भिडे गुरुजी के आदेश शहर का दौरा किया। न सिर्फ प्रधानमंत्री बल्कि महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस और कई दिग्गज राजनीतिक हस्तियों ने उनकी प्रशंसा की है।
दूसरी ओर 56 वर्षीय मिलिंद एकबोटे हैं जो भाजपा से जुड़े हैं और उनका पूरा परिवार आरएसएस के साथ जुड़ा हुआ है। वर्ष 1997 और 2002 के बीच एकबोटे पुणे में नगर निगम के पार्षद रहे हैं। साल 2007 में निगम चुनाव हारने के बाद उन्होंने समस्त हिंदू अघाड़ी बना लिया।
मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक उनके खिलाफ दंगों, अतिक्रमण, डकैती, आपराधिक धमकी और दो समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने के प्रयासों के कुल 12 मामले हैं। फिर भी दोनों भिडे और एकबोटे को काफी समर्थन मिला हुआ है।
महाराष्ट्र की वर्तमान युवा जनसंख्या उन्हें अपना आदर्श मानती है और भिड़े के एक इशारे पर 4-5 लाख युवा एक जगह जमा हो सकते हैं। दोनों नेताओं के खिलाफ अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।