मोहसिन शेख हत्या: आरोपितों को जमानत देने वाले फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा, दी कड़ी चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने पुणे के मोहसिन शेख हत्याकांड के तीनों आरोपितों को जमानत देने वाले  फैसले को पलट दिया है. न्यूज़ वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक  हाई कोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ित व्यक्ति का किसी खास समुदाय से होने की वजह से उस पर किए गए हमले या उसकी हत्या को जायज नहीं ठहराया जा सकता है.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने जनवरी 2017 में मोहसिन शेख की हत्या के तीन आरोपितों की जमानत दे दी थी. इस फैसले में जस्टिस मुदला  ने कहा था, ‘मृतक की गलती केवल इतनी थी कि वह दूसरे धर्म से जुड़ा था. इस तथ्य को मैं आरोपितों के पक्ष में देखती हूं. इसके अलावा आरोपितों का कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. ऐसा लगता है कि उन्हें धर्म के नाम पर उकसाया गया था, जिसके चलते उन्होंने हत्या कर दी.’ इसके खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी को खारिज कर दिया. जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वरा राव ने कहा कि अदालत ऐसी कोई टिप्पणी नहीं कर सकती जो किसी धर्म के पक्ष या उसके खिलाफ जाती हो. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट की इस टिप्पणी को हत्या का तर्क समझने की चूक हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपितों को बॉम्बे हाई कोर्ट में नए सिरे से विचार करने के लिए जमानत याचिका लगाने का निर्देश दिया है.

जून 2014 में पुणे के हडपसर में 28 वर्षीय मोहसिन शेख अपने दोस्त के साथ खाना खाने जा रहा था. तभी कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से उसे इतनी बुरी तरह पीटा था कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने ‘हिंदू राष्ट्र सेना’ के 21 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसकी बैठक के बाद ही आरोपितों ने शेख मोहसिन पर हमला किया था. पुलिस के मुताबिक इस बैठक में हिंदू राष्ट्र सेना के अध्यक्ष धनंजय भाई ने फेसबुक पर शिवाजी महाराज की आपत्तिजनक तस्वीरें डालने के लिए मुसलमानों को सबक सिखाने की अपील की थी.

 

सोर्स- सत्याग्रह