चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी में मंगलवार को शुल्क में वृद्धि के विरोध कर रहे छात्रों और पुलिस के बीच जमकर संघर्ष हुआ। पुलिस ने छात्रों के पथराव का जवाब आंसू गैस का इस्तेमाल करके दिया। कम से कम 15 पुलिसकर्मी और कुछ छात्र घायल हुए हैं जिनमें से कई अभी भी अस्पताल में थे। पुलिस ने 58 छात्रों को हिरासत में लेकर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज़ किया है।
करीब एक घंटे तक चले इस संघर्ष में पुलिस ने जहां आंसू गैस के गोले चलाए, वहीं छात्रों के पथराव में कुछ पुलिसकर्मियों को गंभीर चोट आई है। बहरहाल, यूनिवर्सिटी के बाहर अभी भी तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। मंगलवार को अखिल भारतीय छात्र परिषद (एबीवीपी) को छोड़ सभी संगठनों ने इसमें हिस्सा लिया था। एबीवीपी अलग से विरोध कर रहा है और उनकी भूख हड़ताल मंगलवार को दसवें दिन में प्रवेश कर गई।
पंजाब यूनिवर्सिटी ने इस साल लगभग सभी कोर्सों के लिए बेतहाशा फीस वृद्धि की है। छात्रों का आरोप है कि जिन कोर्सों के लिए अभी उन्हें 6 हजार रुपये देने होते थे, उसके लिए अब 25 हजार रुपये प्रति वर्ष फीस देनी होगी। इस फैसले के खिलाफ यूनिवर्सिटी के छात्र और कई छात्र संगठन पिछले कुछ दिनों से वाइस चांसलर के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। सुबह के समय छात्रों की भीड़ में एकाएक बेतहाशा वृद्धि हुई, इसे देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल को मौके पर बुला लिया गया।
भीड़ को कंट्रोल करने के दौरान छात्रों की पुलिस से झड़प हो गई। इसके बाद दोनों ओर से संघर्ष देखा गया, जहां छात्रों ने पुलिसवालों पर पथराव करना शुरू कर दिया, वहीं पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। एक फोटो जर्नलिस्ट को भी लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा। कुछ छात्रों ने विश्वविद्यालय के गुरुद्वारा में शरण ली। प्रोफेसर एएस अहलूवालिया ने छात्रों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को प्रवेश की अनुमति नहीं दी।
अंत में कुछ छात्रों ने चंडीगढ़ जिला बॉर एसोसिएशन के अध्यक्ष और अन्य वकीलों को फोन किया और उनकी उपस्थिति में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। एसपीएस नेता अमृतपाल सिंह ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर कहा कि आंदोलन अब मजबूत हो जाएगा। एसएफएस के अध्यक्ष दमनाप्रीत सिंह ने कहा कि यह शुल्क वृद्धि भी संरचनात्मक हिंसा का एक रूप है।