मेहरौली की मस्जिद, क़ब्रिस्तान और दरगाहों पर क़ब्ज़ा, मुस्लिम नेताओं की ख़ामोशी पर सवालिया निशान

नई दिल्ली: मेहरौली में वक्फ जायदादों पर जिस तरह से डाका डाला जा रहा है, इस से ऐसा महसूस हो रहा है कि आने वाले कुछ सालों में वहां की सभी ज़मीनों पर सरकारी एजेंसियों और बिल्डर माफिया का कब्जा हो जायेगा। मगर अफ़सोस की बात यह है कि मुस्लिम नेतृत्व खामोश है और कुछ लोग बोल भी रहे हैं तो पुलिस के कान में जूं तक नहीं रेंगती।

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मेहरौली स्थित मस्जिद कलां महल, मस्जिद सुलेमानी और मस्जिद चाँद सितारा का रास्ता बंद करने की कई रोज़ से साजिशें की जा रही हैं। पिछले दो दिनों से मस्जिद कलां महल को बदमाश तत्वों ने अखाड़ा बना रखा है। कभी पेड़ काटे गए तो कभी जंगल में आग लगाकर पहचान खत्म करने की कोशिश की गई और पिछली रात जबरन मस्जिद का रास्ता बंद करने की योजना बनाई गई। जिसे पुलिस ने रुकवा दिया।

हैरान करने वाली बात यह है कि उस भूमि पर बनाये जा रहे आर्कियोलोजिकल पार्क के संबंध से अदालत में मुक़दमा भी चल रहा है। उसके बावजूद सरकारी एजेंसियां लगातार दखलंदाजी कर रही है। मस्जिद के इमाम का कहना है कि अदलत में डीडीए ने खुद लिखकर दिया है कि यह वक्फ की जमीन है। फिर भी प्रशासन ही इस मामले में आगे है।

दरअसल वक्फ बोर्ड का गठन न होने इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। मस्जिद कलां महल में पहले तो सफाई के नाम पर कब्रों को तोड़ा गया, फिर पेड़ों को काटा गया और इसका आरोप मस्जिद के इमाम पर लगाने की कोशिश की गई। तीन दिन पहले भी यहाँ एसडीएम ने दौरा किया था, पेड़ काटने पर मस्जिद के इमाम मौलाना नसरुद्दीन ने उसकी शिकायत वन विभाग को दी और पुलिस को भी दी। गर पुलिस समय पर कार्रवाई करती तो बिल्डर माफिया व बदमाश तत्वों के हौसले बुलंद न होते।