राजस्थान में लगातार हो रहे मुसलमानों के हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए जमीअत उलेमा ए राजस्थान के उपाध्यक्ष शब्बीर अहमद ने कहा कि राजस्थान सरकार साम्प्रदायिक तत्वों को रोकने में नाकाम रही है। राजस्थान के ग्रहमंत्री गुलाब चंद कटारिया से एक प्रतिनिधि मंडल के साथ मुलाक़ात करने के बाद उन्होंने इंक़लाब ब्यूरो से बात की और जमीअत उलेमा ए राजस्थान की ओर से राजस्थान सरकार से क्या क्या मांगे कि गई उनका ज़िक्र किया।
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उन्होंने कहा कि कुछ गलतफहमी की बुनियाद पर इंकलाब में यह खबर छप गई थी कि गृहमंत्री से मुलाक़ात के दौरान पहलु खान और उम्र खान के मामले में बातचीत नहीं हुई, जबकि सच्चाई यह है कि हमारी बातचीत का आगाज़ ही उन्हीं के मामले से हुआ था।
उन्होंने कहा कि इन्कलाब ब्यूरो ने जमीअत उलेमा ए राजस्थान के अध्यक्ष मौलाना यहया करीमी से बात की थी लेकिन इत्तेफाक से वह मुलाक़ात के बाद वहां पहुंच सके थे। शब्बीर अहमद ने कहा कि हमारे प्रतिनिधि मंडल ने ग्रहमंत्री के सामने अपनी तकलीफ और अपने गम का इज़हार किया और पहलु खान, जफर खान फिर अलवर खान और अब राजसमन्द में अफ्राजुल इस्लाम की हत्या का ज़िक्र करते हुए कहा था कि इस बर्बर और क्रूर हत्या की वजह से देश कर हर शांतिपूर्ण लोग तनाव महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमने ग्रहमंत्री से कहा कि एक निजी समूह के जरिए कानून हाथ में लेकर बेहुनाहों की हत्या किए जाने को कोई भी जायज़ क़रार नहीं दे सकता।
उन्होंने कहा कि हमने यह भी कहा कि लव जिहाद जैसे बे बुनियाद मुद्दा को उठाकर समाज में नफरत को बढ़ावा देना, खासतौर पर राजस्थान में एक गंभीर रूप ले चूका है। उन्होंने कहा कि हमने बजरंगदल के जरये लेटरिचर के बंटवाने का भी सवाल उठाया और उसकी शिकायत की।
उन्होंने कहा कि हमने यह बात अपने मेमोरैंडम में भी कही है कि पहलु खान के हत्यारे बेकुसूर नहीं हैं और उसके हत्यारे तन्हा नहीं हैं बल्कि वह सब हत्यारे हैं जिन्होंने इस तरह के हालात राज्य में पैदा किए हैं। उन्होंने कहा कि हमने अफराज़ुल इस्लाम के परिजनों को 20 लाख रूपये देने का मांग किया है और कहा कि सरकार ने जो मुआवज़े का ऐलान किया है वह बहुत ही कम है।