अल्पसंख्यक संस्थाओं का आरोप, राजस्थान में जानबूझ कर माइनोरिटी स्कॉलरशिप को खत्म किया जा रहा

अल्पसंख्यकों के लिए शुरू की गई  माइनोरिटी स्कॉलरशिप को जानबूझ कर खत्म करने का आरोप लगा है . अल्पसंख्यक संस्थाओं के मुताबिक  टारगेट घटाए जा रहे हैं और स्कॉलरशिप की शर्तों को जानबूझ कर कठिन किया जा रहा है. स्कॉलरशिप को लेकर मुस्लिम समाज और तालीम से जुडी संस्थाओं का आरोप है कि स्कॉलरशिप के हालात बद से बदतर होते जा रहा है और कोई शिकायत सुनने वाला नहीं है.

जानकारी के मुताबिक साल 2016 17 में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए  24558 छात्रों ने आवेदन किया था और 16371 छात्रों की स्कॉलरशिप मिली. साल 2017-18 में 58,814 छात्रों ने स्कॉलरशिप के लिए आवेदन दिया है जिन्हें अभी स्कॉलरशिप जारी नहीं की गई है. इसी प्रकार प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए साल 2016-17 में 1,63,955 आवेदन आए और 98228 छात्रों को स्कॉलरशिप दी गई. साल 2017-18 में 227051 छात्रों ने स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया है.

अल्पसंख्ययक विभाग से जब भी माइनोरिटी स्कॉलरशिप को लेकर सवाल किया जाता है, विभाग मामला केंद्र के हाथ होने की बात कह कर सवाल से पल्ला झाड़ लेता है. सवाल उठा रही सस्थाओं का कहना है कि काफी संख्या में फॉर्म रिजेक्ट हो गए और जो फॉर्म भरे गए उनमें भी बाद में कई नुक्स निकाल कर उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया. फॉर्म पास हुए उनमें खाता आधार और आईएफएससी कोड जैसी परेशानियों के कारण वजीफे का पैसा ही नहीं पहुंच रहा है.

राजस्थान अल्पसंख्यक विभाग का दावा है कि उन्हें केंद्र से जितना टारगेट दिया जा रहा है, वे पूरा कर रहे हैं. दूसरे राज्यों को बचा हुआ बजट भी राजस्थान में लाने की कोशिश कर रहे हैं. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने के कहा कि वह इस मामले में केंद्र सरकार से बात करेंगे, ताकि जल्द से जल्द हालात सुधर पाए.