राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए जैसे ही बीजेपी ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान किया राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गईं । 19 जून को सबको हैरान करते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा की। माना जा रहा है कि बीजेपी ने दलित कार्ड खेला है ।
दलित-शोषित समाज की आवाज बुलंद करके बीजेपी में ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले रामनाथ कोविंद को एनडीए ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एक ‘मास्टर स्ट्रोक’ खेला है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ज्यादातर विपक्षी दल देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर किसी दलित को बैठाने का विरोध नहीं करना चाहेंगे।
अपने लंबे राजनीतिक जीवन में शुरू से ही अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं की लड़ाई लड़ने वाले कोविंद बिहार के राज्यपाल थे। राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए नाम की घोषणा होने के बाद उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफ़ा दे दिया है ।
दरअसल, लगभग सभी दलों के सियासी गुणा-भाग में दलितों का अलग महत्व है। ऐसे में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर दलित बिरादरी के व्यक्ति के चयन का विरोध करना किसी भी दल के लिए सियासी लिहाज से मुनासिब नहीं होगा। बीजेपी दलित मोर्चा तथा अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके कोविंद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं।
बीजेपी को उम्मीद है कि कोविंद यदि राष्ट्रपति बनते हैं तो आगामी चुनावों में उसे इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि कई राज्यों में दलित समुदाय की चुनाव में अहम भागीदारी है। इतना ही नहीं लोकजनशक्ति पार्टी के सुप्रीमो रामविलास पासवान ने तो इतना तक कह दिया कि रामनाथ कोविंद के नाम का विरोध करने वाले दलित विरोधी माने जाएंगे।
हालांकि, सोशल मीडिया पर रामनाथ कोविंद को दलित के रूप में पेश करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी की आलोचना हो रही है। एक यूजर्स ने ट्वीट किया, ‘हमारा दुर्भाग्य तो देखिये देश की सर्वोच्च संवैधानिक पद के चयन हेतु व्यक्ति की योग्यता से ज्यादा उसका दलित होना प्रचारित किया जा रहा है।’
"Advani ji u r no longer President in Waiting for NDA.Plz step aside&make way for our Dalit card oops #RamnathKovind for #PresidentialPoll " pic.twitter.com/1JXllnh42H
— Vinay Kumar Dokania🇮🇳 | विनय कुमार डोकानिया (@VinayDokania) June 19, 2017
हमारा दुर्भाग्य तो देखिये देश की सर्वोच्च संवैधानिक पद के चयन हेतु व्यक्ति की योग्यता से ज्यादा उसका दलित होना प्रचारित किया जा रहा है !!
— Shahrukh siddiqui (@srspoet) June 20, 2017
70सालो मे 13राष्ट्रपति बने,एक की भी जाति बताने की ज़रूरत नही पडी?
अब रामनाथ कोविंद,दलित है,बताना ज़रूरी?कोविंद मे जाति के अलावा कोई गुण नही?— Aniruddh Singh Vidrohi (@MandalArmyChief) June 20, 2017
दलित के राष्टपति बनने से दलितों को उतना ही लाभ होगा….
जितना मुख्तार अब्बास नकबी के कैविनेटमंत्री बनने से मुसलमानो को हुआ है😊😊— Imran Khan (@imrankhanRRL) June 20, 2017
So Ramnath Kovind set to be president! When in doubt, turn to a 'dalit' face. Political tokenism yet again for highest post? #RamnathKovind
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) June 19, 2017
भाजपा मे राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ जी दलित चेहरा बने है। उसी तरह मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज मुस्लिम चेहरा है॥ @DubeyAbhay_ pic.twitter.com/QWJEDDcFjp
— राजीव पाण्डेय (@RajivPandey__) June 20, 2017
विपक्ष चाहे तो बड़ा दॉंव खेल सकता है।मीरा कुमार को आगे करके।BJP तो फँसेगी,बिहार की दलित बेटी के नाम पर नीतिश भी फंस जाएँगे।#RamnathKovind
— Vinod Kapri (@vinodkapri) June 19, 2017
कहाँ तो नाम सुन रहे थे हरित क्रांति वाले स्वामीनाथन का।कहाँ दलित राजनीति की पेशक़दमी में ढूँढ़ लाए अपना ही बंदा।यहाँ भी कांग्रेसी कार्यशैली!
— Om Thanvi (@omthanvi) June 19, 2017