आज से पचीस साल पहले 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद शहीद कर दी गई थी। इस मस्जिद को कार सेवकों ने ढाई थी जिन्हें बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद का नेतृत्व मिला था।
https://youtu.be/iPmayp9oMus
इस घटना के पीछे जो विचारधारा थी, उनका मानना था कि यह मस्जिद राम मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी।
वास्तव में दुनिया के इतिहासकारों ने इस बात को खारिज किया है कि वहां राम की पैदाइश हुई थी अथवा कोई राम मंदिर थी।
राम पूनियानी ने अपने विडियो में कहा कि भगवान राम पुरे दक्षिण भारत में बहुत मशहूर हैं और इनपर बालमिकी द्वारा लिखे ग्रंथ में कही इस बात का जिक्र नहीं की है कि भगवान राम कहां पैदा हुए।
दुसरी सबसे बड़ी बात यह है कि तथाकथित तौर पर कहा जाता है कि जिस वक्त राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई, उस वक्त के सबसे बड़े भक्त और लेखक तुलसी दास ने भी कहीं इस बात का जिक्र नहीं किया की राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है।
मेरा मानना है कि अगर उस दौर में राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई होती तो तुलसी दास इस घटना को दुखत बताकर जरूर अपनी रचनाओं में लिखते। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं लिखा है। तो फिर यह बात कहां से आई के भगवान राम का जन्म वहीं हुआ है।
इस घटना में जब से बीजेपी ने दखल दी, उस वक्त से यह पार्टी मजबूत होती चली गई। जिस पार्टी के संसद में कभी दो सीटें थी आज वह साशक पार्टी बन गई है।
इस बीच मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और फैसला आया कि तीन भागों में विवादित जमीन को दे दी जाये, एक राम लल्ला दुसरी आखाड़ा परिषद और तीसरी सुन्नी वक्फ बोर्ड को। बात सुप्रीम कोर्ट में गयी और सुनवाई चल रही है।
इसी बीच आरएसएस मुखिया मोहन भागवत का बयान आया कि राम मंदिर वहीं बनेगी जहां राम का जन्म स्थल है। मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में मामला है तो मोहन भागवत को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए।