रमज़ान (Ramadan) शुरू होने वाले हैं. यह पूरा महीना 30 दिनों का होता है, इस पूरे महीने रोज़े रखे जाते हैं. इस्लामी कैलेंडर में इस महीने को हिजरी कहा जाता है. मान्यता है कि हिजरी के इस पूरे महीने में कुरान पढ़ने से ज्यादा सबाब मिलता है. वहीं, रोज़े को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना गया है. इस महीने मुसलमान ताक्वा को प्राप्त करने के लिए रोज़े रखते हैं. ताक्वा का अर्थ है अल्लाह को नापसंद काम ना कर उनकी पसंद के कार्यों को करना. आसान शब्दों में कहा जाए तो ये महीना मुसलमानों के लिए सबसे खास होता है, ऐसे में अपने मुसलमान दोस्तों या फिर परिवारवालों को रमज़ान की बधाई देना जरूरी हो जाता है.
यहां शायरी और मैजेस दिए जा रहे हैं जिन्हें आप हर दिन रमज़ान की शुभकामनाएं दे सकते हैं…
रमजान आया है, रमजान आया है
रहमतों का बरकतों का महीना आया है
लूट लो नेकियां जितना लूट सकते हो
पूरे एक साल में ये ऑफर का महीना आया है
Happy Ramadan
हटा कर जुल्फें चेहरे से न छत पर शाम को जाना
कहीं कोई ईद न कर ले अभी रमजान बाकी है
Happy Ramadan
हुस्न -ऐ-मुजसिम हो या सांवली सी सूरत
इश्क अगर रूह से हो तो हर रूप बा-कमाल दिखता है
Happy Ramadan
तेरी सादगी का हुस्न भी लाजवाब है
मुझे नाज़ है के तू मेरा इंतखाब है
Happy Ramadan
गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है
सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है
मुबारक हो आपको रमज़ान का महीना
ये पैगाम हमनें सिर्फ आपको भेजा है
Happy Ramadan
आसमान पे नया चांद है आया
सारा आलम खुशी से जगमगाया
हो रही है सहर-ओ-इफ्तार की तैयारी
सज रही हैं दुवाओं की सवारी
पूरे हों आपके हर दिल के अरमान
मुबारक हो आप सब को प्यारा रमजान
Happy Ramadan
चांद से रोशन हो रमजान तुम्हारा
इबादत से भरा हो रोजा तुम्हारा
हर रोरा और नमाज़ कबूल हो तुम्हारी
यही अल्लाह से है दुआ हमारी
Happy Ramadan
किसी का ईमान कभी रोशन ना होता
आगोश में मुसलमान के अगर कुरान ना होता
दुनिया ना समझ पाती कभी भूख और प्यास की कीमत
अगर 12 महीनों मे 1 रमजान न होता
Happy Ramadan
खुशिया नसीब हो जन्नत करीब हो
तू चाहे जिसे वो तेरे करीब हो
कुछ इस तरह हो करम अल्लाह का
मक्का और मदीना की तुझे ज़ियारत नसीब हो
Happy Ramadan
चुपके से चांद की रोशनी छू जाए आपको
धीरे से ये हवा कुछ कह जाए आपको
दिल से जो चाहते हो मांग लो खुदा से
हम दुआ करते है मिल जाए वो आपको
Happy Ramadan
हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की
और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की
शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुद से है
क्या ज़रुरत थी तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की
Happy Ramadan